आज महाशिवरात्रि की धूम है…पढ़िए देश के 12 ज्योर्तिलिंगों के बारे में जहां दर्शन-पूजन से पूरी होती है मनोकामना, मिलता है सौभाग्य

पटना। आज महाशिवरात्रि है। राजधानी समेत पूरे बिहार में बाबा भोले की पूजा की धूम है। देर रात से ही उनके दर्शन-पूजन के लिए कतारें लग गई थीं। महाशिवरात्रि पर पढ़िए देशभर में विराजमान 12 ज्योर्तिलिंगों और वहां के महात्म्य की कहानी। इनमें से तीन महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में दो-दो, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, झारखंड और तमिलनाडु में एक-एक ज्योर्तिलिंग हैं।

01. काशी विश्वनाथ
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बाबा ने यहां विश्वनाथ के रूप में खुद को स्थापित किया। भक्त प्राप्ति की इच्छा के साथ यहां दर्शन करते हैं। यहां दर्शन से जन्म-मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिलता है। शिवरात्रि वर्ष में इसी दिन पूरी रात पूजन होता है। यहां विश्वनाथ बाघंबर स्वरूप में दूल्हा बनते हैं।

02. ओंकारेश्वर
मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में शिव व माता पार्वती रात्रि विश्राम करते हैं और शयन से पूर्व चौसर खेलते हैं। इसलिए मंदिर के गर्भगृह में सदियों से चौसर पांसे की बिसात सजाई जाती है। महाशिवरात्रि पर दरबार 24 घंटे खुला रहता है। शयन आरती रात्रि 8:30 बजे की जगह रात तीन बजे होती है।

03. त्रयंकेश्वर
महाराष्ट्र के नासिक में त्रयंकेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे मैं मान्यता है कि गौतम ऋषि के आग्रह पर शिव यहां विराजित हुए। यहां के गोदावरी कुंड में स्थान और बाबा के दर्शनमात्र से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। ज्योतिर्लिंग के 3 चेहरे ब्रह्मा, विष्णु व रुद्र के प्रतीक हैं। शिवरात्रि पर बाबा की पूजा सुबह पांच बजे शुरू होती है। सुबह, दोपहर व शाम को ढाई घंटे की महापूजा की परंपरा है।

04. सोमनाथ
गुजरात के वेरावल में बाबा सोमनाथ विराजमान है। चंद्रमा की पूजा पर बाबा ने उन्हें श्राप मुक्त किया और यहां स्थापित हो गए। जिनकी कुंडली में चंद्रमा नीच राशि में है और कष्टप्रद है तो उनके लिए यहां पूजा करना शुभ है। शिवरात्रि पर बाबा की पालकी निकाली जाती है। भवतों के लिए बाबा का दरबार लगातार 24 घंटे तक खुला रहता है।

05. केदारनाथ
उत्तराखंड में बाबा केदारनाथ हैं। यह चार धाम में से एक है। पांडवों ने कौरव भाइयों की हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए यहां शिव आराधना की थी। और फिर यहीं से स्वर्ग के लिए निकल गए थे। शिवरात्रि पर मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। परंपरा है कि इस दिन कपाट खुलने की तिथि घोषित की जाती है।

06.वैद्यनाथ
झारखंड के देवघर में विराजमान हैं बाबा वैद्यनाथ। ये शक्तिपीठ भी है। मान्यता है रावण से शिवलिंग लेकर भगवान विष्णु ने इन्हें यहां रखा था। यहां भक्तों की मनोकामना पूरी होने से इसे कामना लिंग भी कहते हैं। महाशिवरात्रि पर बना का विशेष श्रृंगार और चार पहर में शिव-पार्वती का महाभिषेक होता है।

07. मल्लिकार्जुन
आंध्रप्रदेश के दयाल जिले में मल्लिकार्जुन हैं। पुत्र कार्तिकेय को मनाने के लिए मां पार्वती और महादेव ने यहां दर्शन दिए। इसलिए मल्लिकार्जुन नाम पड़ा। यहां पूजन करने से अश्वमेघ यज्ञ करने जैसा फल मिलता है। शिवरात्रि पर 11 दिन का ब्रह्मोत्सव होता है। महारुद्राभिषेक होता है। रथ पर शिव-पार्वची की सवारी निकाली जाती है।

08. भीमाशंकर
महाराष्ट्र में पुणे से 110 किमी दूर सह्याद्रि पर्वत पर भीमाशंकर विराजित हैं। शिव ने ब्रह्माजी से अजेय का वरदान ले चुके भीमा का वध किया और यहां स्थापित हो गए। नवरात्रि पर तीन दिन विशेष अनुष्ठान की परंपरा है। यहां शिव की पूजा रात्रि में होती है। मान्यता है इस पूजन से भक्तों को दिव्य फलों की प्राप्ति होती हैं।

09. नागेश्वर
गुजरात के द्वारका में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है। शिव ने पाशुपतास्त्र से दारूका राक्षस का वध कर भक्तों की रक्षा की थी और यहां ज्योतिर्लिंग में स्थापित हो गए। द्वारकाधीश श्रीकृष्ण भी शिव का रुद्राभिषेक करते थे। श्रद्धालु यहां चांदी के नाग-नागिन चढ़ाते हैं। मान्यता है कि यहां शिव पूजन से मन और शरीर विष मुक्त होता है।

10. महाकालेश्वर
मध्य प्रदेश के उज्जैन में बाबा महाकाल हैं। दैत्य के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए धरती को चीरते हुए प्रकट हुए थे। इस जगह को धरती का नाभिस्थल भी कहा जाता है और यहां से कर्क रेखा भी निकलती है। शिवरात्रि पर 9 दिन का अलग-अलग रूपों का शृंगार होता है। साल में सिर्फ इसी दिन दोपहर में भाषण आरती होती है।

11. रामेश्वरम्
तमिलनाडु के रामेश्वरम् में राम ने लंका चढ़ाई से पहले शिवलिंग की स्थापना की थी और रावण वध के बाद ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए पूजन किया था। यहां दर्शन मात्र से ब्रह्म हत्या जैसे पाप दूर हो जाते हैं। महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती की रथ यात्रा निकलती है और यह महोत्सव 12 दिन तक चलता है।

12. घृष्णेश्वर
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग है। गर्भगृह 24 खंभों पर बना है। मान्यता है यहां दर्शन करने से व्यक्ति पापमुक्त हो जाता है। जीवन में सुखों की वृद्धि ऐसे होती है, जैसे शुक्ल पक्ष में चंद्रमा की वृद्धि होती है। शिवरात्रि पर 5 दिन उत्सव होता है। महाभिषेक व रात्रि में महापूजा होती है। शिव को पालकी से तीर्थकुंड ले जाते हैं।

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Author: undekhilive

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