अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह की अरुणिमा से दमका भगवान नेमिनाथ का ज्ञान कल्याणक

पटना। पटना के मीठापुर, कदमकुआं, मुरादपुर, गुलजारबाग, गुरारा और कालीबीबी का कटरा समेत सभी दिगंबर जैन मंदिर में श्रद्धालुओं ने भगवान नेमिनाथ का ज्ञान कल्याणक पूरी श्रद्धा से मनाया। सुबह से ही श्रद्धालु मंदिर पहुंचने लगे। भगवान का अभिषेक किया गया। अभिषेक के बाद शांतिधारा की गई और भगवान का अर्ध्य चढ़ाया गया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। मुरादपुर दिगंबर जैन चैत्यालय में सुबोध जैन फंटी समेत कई ने शांतिधारा एवं पूजन किया। मीठापुर दिगंबर जैन मंदिर में भी पूजा अर्चना की गई।

कमलदह दिगंबर जैन मंदिर में सोनू जैन समेत अन्य ने पूजा किया। उधर बिहार स्टेट दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के मानद मंत्री पराग जैन ने बताया कि क्षेत्र के कमलदह, पावापुरी, राजगीर सहित अन्य सभी मंदिरों में भगवान नेमिनाथ के ज्ञान कल्याणक की श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की । जैन संघ के मीडिया सचिव एमपी जैन ने बताया कि जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ थे। उनका जन्म शौरिपुर (द्वारका) में राजा समुद्रविजय और रानी शिवदेवी के यहां हुआ था। बचपन से ही वे अहिंसक और करुणामय थे। उनकी सांसारिक विषयों में उनकी रुचि नहीं थी। विवाह के दौरान जानवरों की हत्या होते देख उनका मन वैराग्य से भर गया, जिससे उन्होंने विवाह का त्याग कर दिया और गिरनार पर्वत पर कठोर तपस्या के बाद केवलज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह का उपदेश दिया और अंततः गिरनार पर्वत पर ही निर्वाण प्राप्त किया।

क्या होता है ज्ञान कल्याणक
जैन धर्म में जब तीर्थंकर को पूर्ण ज्ञान (केवल ज्ञान) प्राप्त होता है तो इसे ज्ञान कल्याणक कहते हैं। इस घटना के बाद एक दिव्य समोसरण होता है, जहां से भगवान तीर्थंकर उपदेश देते हैं और जैन समुदाय और शिक्षाओं को पुनर्स्थापित करते हैं। जैन धर्म में जिनको अनंत ज्ञान, अनंत आनंद, अनंत शक्ति और अनंत धारणा की प्राकृतिक स्थिति प्राप्त हो जाती है, उन्हें तीर्थंकर भगवान माना जाता है। जैन धर्म में तीर्थंकर के जीवन की पांच प्रमुख घटनाओं को कल्याणक (शुभ घटनाएं) कहा जाता है। ये पांच कल्याणक गर्भ कल्याणक, जन्म कल्याणक, दीक्षा कल्याणक, ज्ञान कल्याणक और मोक्ष कल्याणक हैं।

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Author: undekhilive

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