शास्त्रीय संगीत की दुनिया के दिग्गजों का कहना है यदि ईश्वर को महसूस करना चाहो तो संगीत सीखो तथा रोज़ रियाज़ करो। शाम वेद में भारतीय शास्त्रीय संगीत को आध्यात्मिक विद्या कहा गया गया है जो हमें अध्यात्म के साथ जोड़ती है। इसी विद्या के प्रदर्शन से बुधवार की शाम पटना स्थित बाल्डविन अकादमी के परिसर में सम्मिलित हुए श्रोता गण भावविभोर हो उठे।
उपलक्ष था हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की 16 वीं बैठक का जिसमे नवोदित कलाकार मोहम्मद सलीम (बांसुरी वादक) तथा डॉ नीरा चौधरी (शास्त्रीय गायिका) ने अपनी कला से लोगों की तालियां बटोरीं। बैठक, पटना के संचालक श्री रत्नाकर ने बताया की ये हमारी 16 वीं पेशकश है, बैठक में हम सिर्फ और सिर्फ शास्त्रीय संगीत को ही प्रार्थमिकता देते हैं तथा पटना के वरीय जाने माने कलाकार साथ ही नवोदित कलाकार गण हमारी इस पहल में हमारा साथ देते हैं।
ऑल इंडिया रेडियो की ए ग्रेड आर्टिस्ट डॉ नीरा चौधरी ने राग मालकौंस की प्रस्तुति दी और सुरों का लगाव तथा राग के नियमों को दर्शाते हुए इतने बेहतरीन तरीके से अपनी प्रस्तुति दी की श्रोता गण मोहित होकर सिर्फ सुने जा रहे थे और तालियों की बौछार कर रहे थे। तो वही मोहम्मद सलीम की बांसुरी वादन में राग जोग की मधुर धुन समा को पूर्ण रूप से बांध चुका था। बांसुरी की धुन इतनी मीठी थी की श्रोतागण सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए। श्री अनुदीप दे ने हारमोनियम पर साथ देते हुए कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया वही तबले पर संगत करते हुए श्री शशि शंकर मिश्रा ने समग्र कार्यक्रम को लयबद्ध रखा, तबले पर थपकियां श्रोताओं को तालियां बजाने पर मजबूर कर रही थीं।
कार्यक्रम में डॉ अमृता सिंह, श्री अशोक सिंह, श्री शिबाशिष मुखर्जी, श्री आशीष चैटर्जी, श्री रजनीश कुमार, श्री देवेन्द्र पाठक, डॉ श्याम मोहन, श्री शांतनु राय एवं श्री विवेकानद जैसे पटना के दिग्गज कलाकार मौजूद रहे। डॉ अमृता ने बताया शास्त्रीय संगीत की ये बैठक युवा पीढ़ी की जरूरत भी है और उनके लिए प्रेरणार्थक भी। श्री रजनीश कुमार जी ने बताया की सिर्फ वैसे लोग ही संगीत जगत में अपने बच्चों को अग्रसर होने से रोक सकते हैं जिनलोगों को बिंदु मात्र की संगीत की समझ नही होती। श्री शिबाशिष मुखर्जी ने कहा शास्त्रीय संगीत एक आध्यात्मिक विद्या है और बहुत बारीक विद्या है इसको पाने के लिए कठिन परिश्रम और त्याग का मनोभाव होना चाहिए।
कार्यक्रम में युवा तथा नवोदित कलाकारों में तनु गांगुली, संजना कुमारी, शायक देव मुखर्जी जैसे पटना के और भी उभरते कलाकार भी मौजूद रहे, तनु गांगुली ने कहा हमारे लिए यह कार्यक्रम महत्वपूर्ण है जिससे काफी कुछ सीखने को मिलता है, संजना ने बताया यूथ को यदि ध्यान में वृद्धि करनी हो तो शास्त्रीय संगीत है ज़रिया। शायक देव ने बताया रियाज़ में कठिन परिश्रम और अपने संगीत के प्रति ईमानदारी आवश्यक है, सात सुर सात देवताओं की तरह होते है और केवल रियाज़ से ही इनकी पूजा हो सकती है।
लगभग सभी श्रोताओं का कहना था की ऐसा कार्यक्रम पटना शहर में लगातार होनी चाहिए जिससे शास्त्रीय संगीत की महत्ता की बढ़ोतरी हो से ख़ास तौर से युवा पीढ़ी में। कार्यक्रम का सह संचालन श्री देबोज्योति घोष ने तथा ध्वनि संचालन श्री आनंद विद्यार्थी ने किया।