बलिया। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में कला महोत्सव के दूसरे दिन सोमवार को छात्र-छात्राओं ने माटी (क्ले आर्ट) से तरह-तरह की चीजों को आकार देना सीखा। इसके साथ ही इलस्ट्रेशन, क्रिएटिव पेंटिंग (ऑयल कलर), क्रिएटिव पेंटिंग (एक्रेलिक) के विविध आयामों से परिचित हुए। प्रशिक्षकों ने इसमें प्रयुक्त होने वाली आधुनिक तकनीक के बारे में भी बताया। इस कार्यशाला में छात्र मिट्टी से कंप्यूटर तक को कला का माध्यम बनाने के बारे में सीख रहे हैं। 31 जनवरी को कार्यशाला का अंतिम दिन है।
स्कल्पचर (क्ले) के बारे में ललित कला विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेंद्र चौहान ने जानकारी दी। उन्होंने टेराकोटा रिलीफ वर्क और प्रकृति के अंतर संबंध से विद्यार्थियों को रूबरू कराया। छात्रों ने मिट्टी से विभिन्न आकृतियों के माध्यम से भारत की कला और संस्कृति को प्रदर्शित किया। विश्वविद्यालय परिसर की कौस्तुभी ने प्रकृति की मनोरम छवि को दर्शाया। हिंदी विभाग की राजकुमारी ने मिट्टी से फूल-पत्तियों को आकार दिया। राजनीति विज्ञान की स्नेहा गुप्ता ने क्ले आर्ट से पौधे और चिड़िया बनाकर प्रकृति को प्रतिबंबित किया। ज्योत्सना तिवारी ने सूर्यमुखी का फूल बनाया। नौशाद अहमद अंसारी ने इलस्ट्रेशन की तकनीकी जानकारी देने के साथ ही इसमें रोजगार के अवसरों के बारे में बताया।
दूसरे तकनीकी सत्र में नुरुल हक ने क्रिएटिव पेंटिंग (ऑयल कलर), क्रिएटिव पेंटिंग (एक्रेलिक) से रूबरू कराया। डॉ. नूरुल हक (प्रशिक्षक) ने सृजनात्मक पेंटिंग में मनोवैज्ञानिक दशा एवं कैनवास पर चित्रण करने की कला के बारे में विद्यार्थियों से परिचर्चा की। डॉ. हक ने बताया कि प्रकृति को आत्मसात करते हुए हम प्रकृति के रहस्य को कैसे चित्रित करें, जिससे प्रकृति के सौम्य व रौद्र दोनों रूपों का चित्रण हो सके। मनोज कुमार यादव ने स्केचिंग करते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया। कहा कि एक अच्छे कलाकार को जीवंत और यथार्थ कला को अभिव्यक्त करना चाहिए। अंत में सभी प्रशिक्षणार्थियों के लिए पेंटिंग सत्र का आयोजन किया गया। इसमें छात्रों ने उत्साह से भाग लिया। डॉ. रंजना मल्ल ने बताया कि छात्रों के कार्य को 31 जनवरी को प्रशासनिक भवन में प्रदर्शित किया जायेगा। इस अवसर पर डॉ. पुष्पा मिश्रा, डॉ. अजय चौबे, डॉ. प्रियंका सिंह, डॉ. संजीव कुमार, डॉ. अभिषेक मिश्र, डॉ. प्रमोद शंकर पाण्डेय, डॉ. प्रेमभूषण, डॉ. संदीप यादव, डॉ. गुंजन कुमार, डॉ. प्रवीण नाथ यादव, डॉ. छविलाल एवं समस्त शिक्षक मौजूद रहे।