श्रीकृष्ण की बाल लीला देश जाति से परे : आचार्य चंद्रभूषण

आध्यात्मिक सत्संग समिति द्वारा शक्तिधाम में सात दिवसीय भागवत कथा के पांचवे दिन प्रारंभ में यजमान वाई सी अग्रवाल एवं लक्ष्मण टेकरीवाल ने सपरिवार व्यास पूजन एवं गुरु पूजन किया. तत्पश्चात पवन अग्रवाल, बिनोद कुमार अग्रवाल, डॉ हिमिता अग्रवाल, आरुषि, अजय कु गौतम, अमर अग्रवाल ने महाराजश्री को माल्यार्पण कर उनका आशीर्वाद लिया

ईश्वर प्राप्ति के मार्ग

दोपहर बाद आज की भागवत कथा का प्रारम्भ करते हुए शास्त्रोपासक आचार्य डॉ चंद्रभूषणजी मिश्र ने श्रीकृष्ण लीला की विवेचना करते हुए बताया कि भगवान् को प्राप्त करने के चार तरीके हैं नाम, रूप, लीला और धाम . लीला के द्वारा भगवान् श्रीकृष्ण जन समाज को आकर्षित कर भगवता से जोड़ने का काम करते हैं . आचार्यश्री ने बताया कि चाहे जितना भी बाहरी सपोर्ट मिले परन्तु बिना भगवत कृपा के कोई भी जीवन और कार्य सफल नहीं होता है. राक्षस भी भगवान् का भजन शत्रु भाव से करते हैं और भगवान् उनका उद्धार करके अपने धाम में पहुंचा कर मोक्ष भेज देते हैं .

आचार्यश्री ने बताया कि श्रीकृष्ण की बाल लीला सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है जिसमे देश जाति से परे उन सभी बालकों को भगवान् अपनी लीला में शामिल करते हैं जो समाज से तिरस्कृत हैं. भगवान् की टीम में भोले भाले दिव्यांग बच्चे भी हैं .
     आचार्यश्री ने बताया कि मक्खन चोरी के दो भाव हैं, एक भक्त के ह्रदय की भावना को चुराना , दूसरा चोरी करके दूध, दही, मक्खन उन बालकों को खिलाना जिनके घर में इन चीजों की कमी है .

आचार्यश्री ने बताया कि श्रीकृष्ण का अवतार एक उदार प्रेम का अवतार है . पूतना श्रीकृष्ण को मारने जाती है परन्तु श्रीकृष्ण यशोदा और देवकी की तरह पूतना को भी माँ जैसा सम्मान देते हैं . पूतना को भागवत में अविद्धा कहा गया है .
      आचार्यश्री ने बताया कि बकासुर के द्वारा भगवान् उन ढोंगी लोगो का पोल खोलते हैं जो उछलती मछलियों का शिकार बगुले की तरह करके साधू की तरह बैठ जाते हैं . भगवान् बकासुर के द्वारा इन ढोंगियों से सावधान रहने का उपदेश देते हैं .

आचार्यश्री ने बताया कि भागवत में तीन तरह के पापों की चर्चा की गयी है . अधासुर के द्वारा श्रीकृष्ण उस पाप से उद्धार का तरीका बताते हैं जो बिना भोग के समाप्त नहीं होता है .


भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं की किसी भी परिस्थिति में अपने व्यक्तित्व को ऊपर उठाईये जिससे शिकायत करने वाले लोगों को भी आँखे ऊँची करके देखना पड़े . स्त्री पुरुष का प्रेम सनातन तो है लेकिन इसपर उंगली उठाने वालों की भी कमी नहीं हैं .


    आचार्यश्री ने बताया कि श्रीकृष्ण ने अपने प्रेम को एक विशाल फलक दिया है . श्रीकृष्ण प्रेम के तीन पड़ाव है . भौमासुर के हरम की  सोलह हजार एक सौ मानव स्त्रियों से विवाह करके एक आदर्श की स्थापना करते हैं . जिस स्त्री पर एक बार ऊँगली उठ जाती है उसको अपनाने को कोइ तैयार नहीं होता है . श्रीकृष्ण का यह सन्देश है कि मनुष्य परिस्थितिवश गलतियां करते रहता है . उसे संभलने सुधरने का अवसर मिलना चाहिए .


भागवत कथा  का समापन आरती के साथ हुआ। का संचालन डॉ गीता जैन ने किया। एम पी जैन ने बताया कि आज के कथा में संयोजक गणेश खेतड़ीवाल, अरुणा खेतड़ीवाल, महामंत्री विष्णु सुरेका, शक्तिधाम के मुख्य संस्थापक अमर अग्रवाल, अक्षय अग्रवाल, जय प्रकाश अग्रवाल, सुभाष चौधरी, गौरव अग्रवाल, तनुजा अग्रवाल,ई सूर्य नारायण, राजकुमार सर्राफ, शकुंतला अग्रवाल, तनुजा अग्रवाल, विनोद झुनझुनवाला, नंदन कुमारी एवं अर्चना अग्रवाल,  सहित सैकड़ों की संख्या में महिलाएं एवं  पुरुष मौजूद थे।

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Author: undekhilive

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