श्री पंच परमेष्ठी विधान कष्टों से मुक्ति दिलाता है
श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर कदमकुआं में श्री पंच परमेष्ठी विधान का आयोजन अजित जैन गंगवाल के द्वारा कराया गया। विधान में सैकड़ों की संख्या में जैन श्रद्धालुओं ने भाग लिया। प्रारम्भ में श्री जी के अभिषेक व शान्तिधारा तथा पूजा के पश्चात पंच परमेष्ठी विधान प्रारम्भ किया गया। इस विधान में महिलाओं एवं पुरुषों ने बढ़ चढ़ कर विधि विधान से 143 अर्ध्य चढ़ा कर पूजा अर्चना की एवं पुण्य लाभ प्राप्त किया। मौके पर अजित जैन ने बताया कि पंच परमेष्ठी का संसारी प्राणियों के लिए बहुत महत्व है। अनादि काल से संसार में भटकते जीव को कहीं शरण नहीं है, कोई भी देव, दानव, राजा, महाराजा इस जीव की रक्षा करने में समर्थ नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि इस दुखी जीव को कहीं शरण मिल सकती है तो वह पंच परमेष्ठी की है, जिनकी शरण में जाने से सभी प्रकार के कष्टों से सदा सदा के लिए मुक्ति मिल जाती है। अत: दुखों से छुटकारा पाने के लिए पंच परमेष्ठी की शरण में रहना चाहिए। एम पी जैन ने बताया कि विधान में गंगवाल परिवार के अजित जैन, आशीष जैन, अनिल जैन, गौरव जैन, उमंग काईन, हेमलता जैन, ज्योति, सोनू एवं खुशबू जैन, मंजू पाटनी, अशोक जैन छाबड़ा सहित करीब सौ लोगों ने विधान में भाग लिया।