आध्यात्मिक सत्संग समिति द्वारा शक्तिधाम में सात दिवसीय भागवत कथा के छठे दिन प्रारंभ में यजमान वाई सी अग्रवाल एवं लक्ष्मण टेकरीवाल ने सपरिवार व्यास पूजन एवं गुरु पूजन किया। तत्पश्चात माननीय मुख्यमंत्री के पूर्व सलाहकार अंजनी कुमार सिंह, विजय किशोरपुरिया,गणेश खेतड़ीवाल, एम पी जैन, राजकुमार सर्राफ, ओम प्रकाश, अक्षय अग्रवाल, राजकुमार खेमका, राजेश बजाज, राजेश माखरिया, आशीष गुप्ता, मनमोहन एवं आशीष आदि ने आचार्यश्री को माल्यार्पण कर उनका आशीर्वाद लिया। आज की भागवत कथा का प्रारम्भ करते हुए शास्त्रोपासक आचार्य श्री डॉ चंद्रभूषणजी मिश्र बताया कि भागवत के दशम स्तम्भ में सम्पूर्ण श्रीकृष्ण चरित्र का क्रमवद्ध वर्णन किया गया है. पूर्ण ब्रह्म भगवान् श्रीकृष्ण अपनी भगवत्ता को छिपा कर जन समाज ही नहीं प्रकृति के सभी अवयव पहाड़, पक्षी, वृक्ष, जल सबके साथ इतने घुलमिल जाते हैं कि सबके आदर्श बन जाते हैं. यही कारण है कि श्रीकृष्ण को जगत गुरु के रूप में स्वीकार किया जाता है. आचार्य श्री ने बताया कि श्रीकृष्ण की मुख्य पत्नी है रुक्मणी, इसके अलावे द्वारका के आठ छोटे छोटे राज्यों के आठ कन्याओं के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर अपनी सामरिक व्यवस्था मजबूत करते हैं.
श्री कृष्ण चरित्र की चर्चा में दो बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है. एक तो यह कि श्रीकृष्ण काल में ब्रज में निवास करने वाले हजारों जन्मो से तपस्या करके ब्रह्मा से ब्रज में जन्म लेने का आशीर्वाद मांगा था ताकि श्रीकृष्ण लीला का अंग बन सके.
दूसरी बात यह कि बड़े घर का लड़का छोटे घरों के लड़कों से दूरी बनाकर रखता है. नन्द बाबा ब्रज प्रदेश के मुखिया भी हैं. उनके पास नौ लाख गायें हैं. द्वापर में गाय को ही मुख्य संपत्ति माना जाता है. इस दृष्टि से भी नन्द बाबा की पूरी प्रतिष्ठा थी. श्रीकृष्ण के साथ गाँव के उपेक्षित बच्चे भी कृष्ण से मित्रता करके यशोदा मैया के आँगन में खेलने आते हैं और नन्द – यशोदा सबको श्रीकृष्ण की तरह ही प्यार दुलार करते हैं. सुदामा श्रीकृष्ण का गरीब बाल सखा है. श्रीकृष्ण द्वारिका के राजा बनाने के बाद भी सुदामा का मित्र की तरह ही स्वागत एवं आदर करते हैं.
आचार्य श्री ने बताया कि भागवत में लिखा है कि जब श्रीकृष्ण को अपने घर चलने का निमंत्रण देने के लिए समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति या कोई दीन हीन व्यक्ति जाता है तो भगवान् श्रीकृष्ण साधारण व्यक्ति के घर जाकर साधारण चटाई या जमीन पर बैठ कर उससे मांग मांग कर खाते पीते हैं.
आचार्य श्री ने बताया की भगवान श्रीकृष्ण रसों के बादशाह हैं – “रसो वै सः”. आनंद प्राप्त करने के जितने तरीके हैं, श्रीकृष्ण सबके सम्मिलित रूप हैं. महारास द्वारा वही आनन्द दर्शकों को भी मिलता है और उसमे भाग लेने वालों को भी.
प्रेम का देवता श्रीकृष्ण केवल प्रेम बांटता है इसीलिए सब उसे अपना मानते हैं.भागवत कथा का समापन आरती के साथ हुआ। का संचालन डॉ गीता जैन ने किया। एम पी जैन ने बताया कि आज के कथा में संयोजक गणेश खेतड़ीवाल, अरुणा खेतड़ीवाल, महामंत्री विष्णु सुरेका, अमर अग्रवाल, अक्षय अग्रवाल, तनुजा अग्रवाल, पुष्पा जैन, जय प्रकाश अग्रवाल, सुभाष चौधरी, गौरव अग्रवाल, तनुजा अग्रवाल, सूर्य नारायण, राजकुमार सर्राफ, शकुंतला अग्रवाल, विनोद झुनझुनवाला, नंदन कुमारी एवं अर्चना अग्रवाल, सहित सैकड़ों की संख्या में महिलाएं एवं पुरुष मौजूद थे।