अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि में बन रहे राममंदिर में प्रतिस्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति के माथे तक रामनवमी के दिन सूर्य की किरणों से अभिषेक हो, इस पर बुधवार को खूब मंथन हुआ। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कार्यकारिणी की बैठक में भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने सलाह दी है कि इसके लिए रामलला की मूर्ति साढ़े आठ फुट की होनी चाहिए। मूर्ति का सूर्य की किरणों से अभिषेक हो, इसके लिए इसरो ने विशेष तकनीक पर काम किया है।
हालांकि दिन भर चले मंथन के बाद मूर्ति की ऊंचाई को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका। सुप्रतिष्ठित मूर्तिकारों ने रामलला की बैठी हुई प्रतिमा की बजाय खड़ी प्रतिमा पर विशेष जोर दिया है। यह भी कहा गया कि पांच वर्ष के बाल स्वरूप खड़े रह सकते हैं। रामलला के चेहरे के नौ से 12 इंच की मॉडल प्रतिमा बनाकर डेमो देने के लिए सभी विशेषज्ञों को कहा गया।
इन प्रतिष्ठित मूर्तिकारों ने की शिरकत
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि रामलला के विग्रह का मॉडल बनाने की जिम्मेदारी जिन विशेषज्ञ मूर्तिकारों को दी गयी है, उनमें उड़ीसा के पद्म विभूषित सुदर्शन साहू व देश के सबसे बड़े मूर्ति विशेषज्ञ वासुदेव कामत हैं। इनके अलावा कर्नाटक गुलबर्गा के रमईया वाडगेर एवं पूना के विशिष्ट पुराविद एवं शास्त्रज्ञ वाडनेकर शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इसरो के वैज्ञानिकों एवं मूर्तिकारों के सुझावों के बीच भविष्य में तालमेल बैठाया जाएगा।
दिसम्बर 2023 में हो सकती है रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
चंपत राय ने कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा दिसम्बर 2023 में करने पर दोबारा मंथन शुरू हो गया है। बैठक में ट्रस्टियों का यह सुझाव था कि 2024 में मकर संक्रांति पर सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार करने के बजाय दिसम्बर 2023 में ही मुहूर्त निकाला जाना चाहिए। कार्यदायी संस्था को इसी डेड लाइन को मानकर अगस्त 2023 का लक्ष्य तय करना चाहिए, तभी निर्माण पूरा हो सकेगा। लोगों का मत था कि 21 दिसम्बर के बाद सूर्य के उत्तरायण होने के लक्षण प्रकट होने लगते हैं।