पटना। प्रदेश में एक बार फिर मानसून कमजोर पड़ गया है। पारा बढ़ने लगा है और पिछले तीन दिनों से लोग उमस भरी गर्मी से परेशान हैं। यह रोपनी का समय है। ऐसे समय में बारिश ना होने से खेत सूख रहे हैं। जिन्हें देख किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। मौसम विभाग की माने तो अगले 5 दिनों तक राज्य में कहीं भी तेज बारिश के आसार नहीं है। 26-27 जुलाई तक अच्छी बारिश का इंतजार करना होगा। प्रदेश के 8 जिलों में इस बार 60 से 99 प्रतिशत तक कम बारिश दर्ज की गई है। वहीं 26 जिलों में सामान्य से 20 से 59 प्रतिशत तक कम बारिश हुई है। इधर आरा में तेज हवा के साथ बारिश शुरू हो रही है।
मौसम विभाग की मानें तो फिलहाल मानसून ट्रफ बिहार के आसपास नहीं है। सूबे के किसी भी हिस्से से मानसून ट्रफ नहीं गुजर रहा है। कोई स्थानीय सिस्टम भी विशेष प्रभावी नहीं है। इसके कारण बारिश की किल्लत है। जून जुलाई के महीने में प्रदेश में 41 फीसदी कम बारिश हुई है। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री को मौसम विभाग के प्रतिनिधि ने दी। उन्होंने कहा कि जून में 85 एमएम बारिश हुई जो सामान्य से 163.3 एमएम से 48 प्रतिशत कम है। मौसम विभाग की माने तो वहीं, 1 जुलाई से 21 जुलाई तक 152.30 एमएम बारिश हुई, जो सामान्य बारिश 242.4 एमएम से 47% कम है। वहीं 1 जून से लेकर 21 जुलाई तक राज्य में 405.7 मिमी बारिश होनी थी, लेकिन मात्र 238.3 मिमी बारिश हुई है। पूरे प्रदेश में 41 फीसदी कम बारिश हुई है। प्रदेश के 4 जिलों में 19 प्रतिशत कम या सामान्य से 19 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है, जिसमें बक्सर, किशनगंज, भागलपुर और अररिया जिला शामिल हैं। बिहार में बारिश की कमी को लेकर शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक की है। इस बैठक में नीतीश कुमार ने कृषि कार्य के लिए किसानों को डीजल अनुदान उपलब्ध कराने और 12 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित कराने का आदेश दिया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि किसानों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाए। ताकि उन्हें खेती के काम में कोई भी परेशानी का सामना ना करना पड़े। राज्य के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है। राज्य के 75 प्रतिशत लोगों की आजीविका का आधार कृषि है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल-जीवन- हरियाली अभियान के अंतर्गत जल संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों की निगरानी करते रहें। लोगों के लिए पेयजल की उपलब्धता हमेशा रहे, यह सुनिश्चित करें। सभी संबद्ध विभाग पूरी तरह अलर्ट रहें। धान रोपनी समय पर हो जाए, इसके लिए जल संसाधन विभाग एवं लघु जल संसाधन विभाग सिंचाई के लिए आवश्यक प्रबंध करें। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भी स्थिति पर नजर बनाये रखें।