पंचम वेद की तरह है रामचरितमानस : अंशुमाली महावीर मन्दिर में गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती मनाई गई

महावीर मन्दिर में बुधवार को अपराह्न महावीर मन्दिर के प्रांगण में स्थापित गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया गया। इसके बाद आरती हुई। शंखनाद भी हुआ। महावीर मन्दिर के पुजारी राजकुमार दास और ब्रह्मदेव दास ने गोस्वामी तुलसीदास का विधिवत पूजन किया। आखिर में उपस्थित भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आचार्य अशोक अंशुमाली ने इस अवसर पर कहा कि रामचरितमानस को पंचम वेद मानना अतिशयोक्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस जिस प्रकार जनमानस में रचा-बसा हुआ है, उससे उसकी व्यापकता और संपूर्णता का अंदाजा लगाया जा सकता है। आचार्य अंशुमाली ने कहा कि आज से 500 वर्ष पूर्व जब भारतीय वाङ्मय संकटग्रस्त था, हमारी संस्कृति पर कुठाराघात हो रहा था, उसी संक्रमण काल में गोस्वामी तुलसीदास जी का अवतरण हुआ। गोस्वामी जी ने रामचरितमानस के जरिए संपूर्ण भारतीय वाङ्मय को एक सूत्र में पिरोया। आचार्य अंशुमाली ने कहा कि रामचरितमानस को संपूर्णता में समझने और उसका विश्लेषण करने से हम उसके सही भावार्थ को समझ सकते हैं।

महावीर मन्दिर की पत्रिका धर्मायण के संपादक पंडित भवनाथ झा ने इस अवसर पर गोस्वामी तुलसीदास जी को वंदन करते हुए कहा कि गोस्वामी जी ने रामचरितमानस के अलावा एक दर्जन प्रमुख ग्रन्थों आदि की रचना की। इनमें विनय-पत्रिका, कवितावली, दोहावली, पार्वती मंगल, रामलला नहछू, बैरवे रामायण आदि प्रमुख हैं। घर-घर पाठ होने वाले हनुमान चालीसा की रचना कर वे जन-जन की वाणी में बसे हुए हैं। महावीर मन्दिर में आयोजित गोस्वामी तुलसीदास जी जयंती समारोह महावीर मन्दिर के अधीक्षक के सुधाकरन, वरीय प्रबन्धक पी एस चन्द्रन, ज्योतिषाचार्य मुक्ति कुमार झा, रामायण शोध संस्थान के प्राणशंकर मजूमदार आदि उपस्थित थे।

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Author: undekhilive

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