पटना। बसंत पंचमी का उल्लास राजधानी में छाने लगा है। शास्त्रों की मानें तो इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। वह ज्ञान की देवी हैं। ऐसे में स्कूल-कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों में पूजा की तैयारियां जारी हैं। सैकड़ों जगहों पर भव्य पंडाल भी बनाए जा रहे हैं। यह पर्व और दिन ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। वसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। सनातन धर्म में मां सरस्वती की उपासना का विशेष महत्व है, क्योंकि ये ज्ञान की देवी हैं। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली का भी आशीर्वाद मिलता है। पढ़िए नव वर्ष में बसंत पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि…।
बसंत पंचमी तिथि
पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी 25 जनवरी 2023 की दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से होगी और 26 जनवरी 2023 को सुबह 10 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस साल वसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी।
ऐसे करें पूजा
बसंत पंचमी वाले दिन सुबह स्नान कर साफ पीले या सफेद रंग का वस्त्र धारण करें। उसके बाद सरस्वती पूजा का संकल्प लें। पूजा स्थान पर वास्तु के अनुसार मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं। इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें। सरस्वती माता को गेंदे के फूल की माला पहनाएं। माता को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद सरस्वती वंदना एवं मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें। आप चाहें तो पूजा के समय सरस्वती कवच का पाठ भी कर सकते हैं।
आखिर में हवन कुंड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर लें और ‘ओम श्री सरस्वत्यै नमः: स्वहा” मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन करें। फिर अंत में खड़े होकर मां सरस्वती की आरती करें। ऐसा करने से मां सरस्वती की कृपा बरसेगी। जीवन में सफलता प्राप्त करने के अवसरों में वृद्धि होगी।