पटना। राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह को कांग्रेस ने बिहार का अध्यक्ष बनाया है। सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले पार्टी के असंतुष्ट नेताओ में शामिल रहे हैं अखिलेश प्रसाद को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। उन्होंने निवर्तमान अध्यक्ष डॉ. मदनमोहन झा की जगह ली।
पिछले काफी दिनों से प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर चल रही चर्चाओं पर सिंह की नियुक्ति के बाद विराम लग गया। उल्लेखनीय है कि मदन मोहन झा ने अप्रैल में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, पर संगठन चुनाव की प्रकिया शुरू होने की वजह से नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई थी। इसके साथ उपचुनाव की वजह से भी देर हुई।
2004 में बने थे केंद्रीय राज्य मंत्री
अखिलेश प्रसाद सिंह वर्ष 2004 से 2009 तक डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री भी रहे। वह कृषि और उपभोक्ता मामले के मंत्री रहे। वर्ष 2004 में वह राजद पार्टी से मोतिहारी से लोकसभा चुनाव जीते थे। राजद प्रमुख लालू प्रसाद के करीबी माने जाते हैं। हालांकि, वर्ष 2009 और 2014 में लोकसभा का चुनाव वह हार गये थे। इससे पहले वह वर्ष 2000 में अरवल से विधानसभा का चुनाव भी जीते थे, और वह बिहार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री बने। 60 वर्षीय अखिलेश प्रसाद सिंह पटना विश्वविद्यालय से एमएससी और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। वर्ष 2015 का विधानसभा चुनाव वह तरारी से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप लड़े थे, पर हार गये। वर्ष 2018 में कांग्रेस ने उन्हें बिहार से राज्यसभा भेजी। वह अरवल जिले के निवासी हैं।
साबित करना होगा अपने को
वर्ष 2024 में लोकसभा और 2025 में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में बिहार में पार्टी का नेतृत्व करना कम चुनौतीभरा नहीं होगा। इन चुनावों में उन्हें अपने को साबित तो करना ही होगा, साथ ही प्रदेश के नेताओं को एक साथ लेकर चलना भी उनके लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं होगा।
अखिलेश प्रसाद को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी ऐसे वक्त में दी गई है, जब पार्टी बिहार में 28 दिसंबर से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू कर रही है। बांका के मंदार पर्वत से 28 दिसम्बर को शुरू होने वाली यह यात्रा 1023 किलोमीटर के सफर के बाद बोधगया में समाप्त होगी। इस यात्रा में प्रदेश कांग्रेस के नेता सहित पार्टी के केंद्रीय नेता भी हिस्सा ले सकते हैं।