महावीर वात्सल्य अस्पताल में नवजात शिशुओं के बहरेपन की जांच शुरू, पढ़ें बच्चों के इलाज की नई सुविधाएं

पटना। महावीर वात्सल्य अस्पताल में नवजात शिशुओं के बहरेपन की जांच और इलाज होने लगी है। ईएनटी विभाग में यह सुविधा उपलब्ध है। यहां नवजात शिशुओं का बेरा टेस्ट हो रहा है। महावीर वात्सल्य अस्पताल की ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. अपर्णा शेखर ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के अनुरूप बेरा जांच की सुविधा दी जा रही है। इसमें नवजात शिशुओं के कानों की श्रवण क्षमता का पता लगाया जाता है। उसके बाद आवश्यकता पड़ने पर बच्चों के कान का इलाज किया जाता है। इस तरह की सुविधा कुछ गिने-चुने अस्पतालों में ही उपलब्ध है।

डॉ. अपर्णा ने बताया कि यदि जन्म लेने के तुरंत बाद अस्पताल में ही बच्चे के सुनने की जांच नहीं हो तो उसके बहरेपन या सुनने में कठिनाई का पता लगने में 6 माह से अधिक का समय गुजर जाता है। तब तक देर हो जाती है। समय पर कान की कम सुनने की समस्या का पता चलने पर तुरंत इलाज कारगर होता है। डॉ. अपर्णा ने बताया कि बच्चे तीन साल की उम्र होने पर भी पूरा वाक्य नहीं बोल पाते हों तो उन्हें सुनने की समस्या हो सकती है। कम सुनने वाले बच्चे ठीक से बोल नहीं पाते।

महावीर वात्सल्य अस्पताल के निदेशक डॉ. निहार रंजन विश्वास ने बताया कि ईएनटी विभाग में तोतलापन, आवाज की समस्या, टंग टाई आदि का इलाज रियायती दरों पर किया जा रहा है। नाक, कान और गले की इंडोस्कोपी की भी सुविधा है। साइनस, खर्राटे की समस्या आदि का इलाज भी महावीर वात्सल्य अस्पताल में किया जा रहा है। ईएनटी विभाग में स्पीच थेरेपी, हियरिंग एड आदि रियायती दरों पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा आए दिन बच्चों के नाक से घुंघरू, पेंसिल, चॉक जैसी वस्तुएं सफलतापूर्वक बगैर बेहोश किये निकाली जा रही हैं। वयस्कों के गले, नाक, कान से भी फंसी और अटकी वस्तुएं निकाली जाती हैं। बड़ी उम्र के व्यक्तियों के कान, नाक, गले के इलाज की सुविधा रियायती दरों पर  दी  जा  रही  है।

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Author: undekhilive

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