देवोत्थनी एकादशी पर अनन्त शैय्या से जगे भगवान विष्णु
महावीर मन्दिर में ईख के मंडप में शालग्राम भगवान की पूजा
बड़ी संख्या में एकादशी व्रती भी हुए सम्मिलित
कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवोत्थान एकादशी के पावन अवसर पर महावीर मन्दिर में पूरे विधि-विधान से भगवान शालग्राम की पूजा हुई। ईंख से बने मंडप में चौकी पर विराजमान शालग्राम स्वरुप भगवान विष्णु का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया गया। इस मंडप के निकट तुलसी जी को भी विराजित कर पूजन किया गया। गुरुवार को संध्या काल में महावीर मन्दिर में दक्षिण पूर्व कोने पर स्थित सत्यनारायण भगवान यानी भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष पंडित जटेश झा की देखरेख में पूजन हुआ। शालग्राम भगवान को पंचामृत से स्नान कराकर उन्हें चंदन-तिलक किया गया। पुष्प-पान चढ़ाए गये। नैवेद्यम-फल का भोग लगाया गया। इस अवसर पर महावीर मन्दिर की पत्रिका धर्मायण के संपादक पंडित भवनाथ झा ने बताया कि देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु के अनन्त शैय्या से जगते ही सारे मांगलिक कार्य शुरू हो गये। आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानि हरिशयनी एकादशी के दिन भगवान शयन पर चले गये थे। भाद्र शुक्ल एकादशी को भगवान ने करवट लिया जिसे पार्श्व परिवर्तनी एकादशी कहा जाता है। कार्तिक शुक्ल एकादशी को भगवान शयन से उठे जिसे देवोत्थान या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। महावीर मन्दिर में इस वार्षिक पूजन के आखिर में चौकी पर विराजमान भगवान शालग्राम को ईख-मंडप समेत तीन बार उठाकर उन्हें निद्रा से जगाया गया।
पूजन के दौरान इन मंत्रों का प्रयोग किया गया- ब्रह्मेन्द्ररुद्रैरभिवन्द्यमानो
भवान् ऋषिर्वन्दितवन्दनीयः।
प्राप्ता तवेयं किल कौमुदाख्या जागृष्व जागृष्व च लोकनाथ।।
मेघा गता निर्मलपूर्णचन्द्रशारद्यपुष्पाणि मनोहराणि।
अहं ददानीति च पुण्यहेतोर्जागृष्व जागृष्व च लोकनाथ।।
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पते।
त्वया चोत्थीयमानेन उत्थितं भुवनत्रयम्।।
ये मन्त्र इसी रुप में कमसे कम 1000 वर्षों से मिलते हैं।अनन्त भगवान के इस जागरण पूजन में पंडित जटेश झा के निर्देशन में पंडित भवनाथ झा, गजानन जोशी, सौरभ पांडेय, माधव उपाध्याय, सुरेश पी, रोहित पांडे ने पूजन संपन्न किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में एकादशी व्रती भी सम्मिलित हुए। आखिर में उपस्थित भक्तों के बीच फल प्रसाद का वितरण किया गया।