रामचरितमानस पर भ्रांतियों को दूर करने के लिए महावीर मंदिर ने बुलायी विद्वत गोष्ठी, आप भी ले सकते हैं भाग…पढ़िए क्या है तरीका

पटना। गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस सामाजिक सद्भाव का प्रेरक महाकाव्य है। लोकभाषा में इसकी रचना गोस्वामीजी ने इसलिए की थी ताकि धार्मिक तथा सामाजिक स्तर पर सभी वर्गों के लोगों को एक साथ जोड़ते हुए समाज और राष्ट्र को मजबूत किया जा सके। विगत शताब्दी में जब भारतीय मजदूरों को मॉरीशस भेजा जा रहा था, तब वे सर्वस्व के रूप में अपने साथ रामचरितमानस की प्रति लेते गये थे। इस ऐतिहासिक घटना से ‘मानस’ का व्यापक सामाजिक प्रभाव आंका जा सकता है।

ऐसी स्थिति में किसी कारणवश ऐसे पवित्र ग्रंथ पर आक्षेप लगाने की असहज स्थिति में महावीर मंदिर पटना की ओर से सामाजिक सद्भाव के प्रवर्तक गोस्वामी तुलसीदास विषय पर एक विद्वत गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। यह 22 जनवरी को विद्यापति-भवन (पटना संग्रहालय के पीछे वाले मार्ग पर) विद्यापति मार्ग में 1:00 बजे दिन से होगा।

इस सेमिनार में पक्ष एवं विपक्ष में विद्वानों के विचार आमंत्रित हैं, ताकि लोगों में फैलती जा रही भ्रांतियां दूर हो सके। सोशल मीडिया तथा अन्य संचार माध्यमों द्वारा दोनों पक्षों की ओर से जो आधे-अधूरे वक्तव्य आ रहे हैं, वे धर्म तथा समाज के लिए ठीक नहीं हैं। महावीर मंदिर द्वारा इसे दूर करने हेतु स्वस्थ परम्परा का निर्वाह करते हुए सेमिनार आयोजित करने का कदम उठाया गया है।

धर्मायण के संपादक भवनाथ झा बने संयोजक, उन्हीं के पास देने होंगे प्रस्ताव
इस सेमिनार के लिए महावीर मंदिर की पत्रिका धर्मायण के संपादक पंडित भवनाथ झा को संयोजक बनाया गया है। इस सेमिनार में पुष्ट प्रमाणों के साथ पक्ष अथवा विपक्ष में विषय केन्द्रित वार्ता के लिए इच्छुक विद्वान उनके सपंर्क नंबर 9430676240 पर वाट्सएप अथवा वार्तालाप से संपर्क कर सकते हैं अथवा dharmayanhindi@gmail.com पर संदेश भेज सकते हैं। कार्यक्रम को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए यह आवश्यक है कि विद्वानों का प्रस्ताव वक्तव्य के शीर्षक सहित 20 जनवरी की संध्या तक आ जाये, ताकि कार्यक्रम की रूपरेखा निर्धारित कर 21 जनवरी को वक्ताओं को कार्यक्रम के एक दिन पूर्व विधिवत सूचना दी जा सके।

उपर्युक्त विषय की पक्ष-स्थापना पर आचार्य किशोर कुणाल का वक्तव्य होगा। वक्ताओं से सम्मति लेकर दूसरे व्यक्ति भी किन्हीं का नाम सुझा सकते हैं। वार्ता में भाग लेने वाले विद्वानों से लिखित आलेख लाने का निवेदन किया गया है, ताकि भविष्य में उसे धर्मायण में प्रकाशित भी  किया  जा  सके।

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Author: undekhilive

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