महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान और महावीर मन्दिर की संयुक्त पहल

उज्जैन स्थित महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान और पटना के महावीर मन्दिर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वैदिक सम्मेलन के दूसरे दिन मानव जीवन में वेदों के महत्व पर विस्तार से चर्चा हुई। चारों वेदों का अनुवाद और उनकी व्याख्या करने वाले अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान पं देवी प्रसाद पांडेय का मुख्य व्याख्यान हुआ। अयोध्या से पधारे देवी प्रसाद पांडेय ने कहा कि संसार के सारे अच्छे कार्य यज्ञ के समान हैं। वेदों का मुख्य संदेश है- सर्वजन हिताय। सबका हित सोचना, सबका प्रिय देखना और उसकी कामना करना ही वेदों का सार है। वेद मर्मज्ञ ने बताया कि यदि हम किसी से ईर्ष्या करते हैं, किसी का बुरा सोचते हैं तो इससे हमारा रक्त दूषित हो जाता है। पटना के महाराणा प्रताप भवन में आयोजित वैदिक सम्मेलन में पं देवी प्रसाद पांडेय ने कहा कि हमें अपना जीवन यज्ञशील बनाना चाहिए। जिस प्रकार सूर्य सारे संसार को रौशनी और ऊर्जा देता है और बदले में कोई चाहत नहीं रखता, पवन देव निःशुल्क प्राणवायु प्रदान करते हैं, वैसे ही हमें भी बगैर किसी चाहत के जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शास्त्र विरूद्ध आचरण पाप है। वेदों में वर्णित संदेशों को उद्धृत करते हुए देवी प्रसाद पांडेय ने कहा कि भोजन शाकाहारी, ॠतु के अनुसार और सुपाच्य करना चाहिए। हमारा जीवन एकाकी नहीं होना चाहिए। केवल स्वयं के लिए धन अर्जित करने की बजाय समाज के लिए भी धन अर्जित करना चाहिए। वेद हमें पूर्ण जीवन प्रदान करते हैं।

घर-घर जागरूकता फैलाएंगे वेद छात्र…
इस अवसर पर अपने संबोधन में महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन के सचिव विरूपाक्ष भी. जड़ीपाल ने कहा कि इस वर्ष पूरे देश में विभिन्न स्थानों पर वेद जागरण यात्रा निकाली जाएगी। वेद के छात्र घर-घर जाकर वेद पढ़ने के लिए और छात्रों को प्रेरित करेंगे। प्रथम चरण में वैसे परिवारों को लक्ष्य किया जा रहा है जहां पहले वेद पाठी होते थे और अब परंपरा टूट गयी है। उन घरों की युवा पीढ़ी को फिर वेद से जोड़ना है। सचिव ने बताया कि भारत सरकार ने वेद संस्कृत शिक्षा बोर्ड का गठन किया है जो सीबीएसई के समकक्ष है। इस साल पूरे देश से 1200 वेद छात्र स्कूली शिक्षा पूरी कर विश्वविद्यालय में प्रवेश पाएंगे। वर्तमान में आधिकारिक रूप से वेद पढ़नेवाले छात्रों की कुल संख्या 8200 है। जड़ीपाल ने कहा कि पटना का लिखित इतिहास 5 हजार साल पुराना है। ऐसे ऐतिहासिक शहर में वेद का प्रति वर्ष अभियान चलना चाहिए। वेद के प्रति जन जागृति लाना आज के समय की मांग है। अपने अध्यक्षीय संबोधन में पटना विश्वविद्यालय के संस्कृत के पूर्व विभागाध्यक्ष डाॅ उमाशंकर शर्मा ॠषि ने कहा कि वेद पर ही संपूर्ण संसार आश्रित है। वेदों के प्रति लोगों का सम्मान बढ़ रहा है। वेद सबसे पूज्य शास्त्र हैं। शास्त्रों का स्रोत ही वेद हैं। इस अवसर पर महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने अंगवस्त्र और महावीर मन्दिर प्रकाशन की पुस्तक भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार मिश्र, वैदिक सम्मेलन के संयोजक भवनाथ झा आदि मौजूद थे। मंच संचालन रामायण शोध संस्थान के प्राणशंकर मजूमदार ने किया। इसके पूर्व शुक्रवार को सुबह के दो सत्रों में छह राज्यों से आए वेद अध्यापकों ने चारों वेदों का पाठ किया।

वैदिक अध्यापकों और अतिथियों ने किया भ्रमण वैदिक सम्मेलन के दूसरे दिन संध्या सत्र में वेद अध्यापकों और अन्य अतिथियों ने पटना के कुछ प्रमुख धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया। महाराणा प्रताप भवन से वेद अध्यापकों का समूह पहले जल्ला महावीर मन्दिर गया। वहां हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ हुआ। वहां से वैदिक सम्मेलन के सहभागी पटना साहिब गुरूद्वारा पहुंचे और मत्था टेका। फिर पटन देवी में शीश नवाया। वैदिक सम्मेलन में भाग लेने आए इस समूह ने पटना के गंगा तटों का भी भ्रमण किया। आखिर में सभी महावीर मन्दिर पहुंचे और शाम की आरती में भाग लिया। महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। पटना में तीन दिनों के इस वैदिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बंगाल, उड़ीसा और मणिपुर से वेद अध्यापक और विद्वान आए हैं।

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Author: undekhilive

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