पटना। एनडीए और महागठबंधन के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बने कोढ़नी विधानसभा सीट भाजपा प्रत्याशी ने जीत ली। गुरुवार को आए परिणाम में भाजपा प्रत्याशी केदार गुप्ता ने जदयू के मनोज कुशवाहा को साढ़े तीन हजार से अधिक वोटों से मात दी। भाजपा की जीत और जदयू की हार के मायने, मतलब निकाले जाने लगे हैं।
यहां कुल 13 प्रत्याशी मैदान में थे। भाजपा प्रत्याशी को 76 हजार 722 मिले। वहीं दूसरे नंबर पर रहे जदयू के उम्मीदवार को 73 हजार 73 वोट से संतोष करना पड़ा। तीसरे नंबर पर मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी रही। इसके उम्मीदवार निलाभ कुमार को 10 वोट मिले। वहीं चौथे नंबर पर नोटा रहा। नोटा में 4448 वोट पड़े। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा को 3206 वोट मिले।
राजनीतिक विश्लेषकों को अनुसार वोटों की गणित पर गौर करें तो एमआईएमआईएम ने जहां महागबंधन प्रत्याशी को नुकसान पहुंचाया वहीं वीआईपी के उम्मीदवार ने भी बहुत हद तक महागठबंधन के वोट काटे। एमआईएमआईएम ने महागठबंधन के कोर वोटर रहे मुस्लमानों में सेंध लगाई। अगर एमआईएमआईएम मैदान में होता तो कमोबेश इसको मिले वोट महागठबंधन के खाते में जाना तय था।
ओवैसी की पार्टी बनी महागठबंधन की राह में रोड़ा
जीत का अंतर 3645 वोट रहा। भाजपा प्रत्याशी को 76722 वोट मिले, वहीं जदयू प्रत्याशी को 73073 वोट ही मिल सके। जीत का अंतर 3649 वोट का रहा। सियासी जानकारों की मानें, तो यहां ओवैसी की पार्टी महागठबंधन की राह में रोड़ा बनी और मुस्लिम वोटों को अपने पाले में कर लिया। ओवैसी की पार्टी एमआईएमआईएम ने उतने ही वोट अपनी ओर खींचे, कमोवेश जितने वोटों के अंतर से महागठबंधन को हार मिली है। महागठबंधन को 3 हजार 649 वोट से पराजय का सामना करना पड़ा है। वहीं ओवैसी की पार्टी को 3206 वोट मिले हैं। ओवैसी की पार्टी ने गोपालगंज की तरह खेल कर दिया। जहां-जहां ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। वहां-वहां मुस्लिम मतदाता पूरी तरह उनके साथ जा रहे हैं।
मुकेश सहनी ने भी महागठबंधन का बिगाड़ा खेल
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी ने भी महागठबंधन की हार का कारण बनी। मुकेश अगर महागठबंधन में होते तो मल्लाहों के ज्यादा से ज्यादा वोट महागठबंधन के पाले में आते। लेकिन, मुजफ्फरपुर से भाजपा के सांसद अजय निषाद ने कुढ़नी में मल्लाहों को बीजेपी के पक्ष में करने में खूब जोर लगाया। जानकारों की मानें, तो वीआईपी उम्मीदवार को दस हजार के करीब जो वोट मिले हैं, उसमें से दो हजार वोट भी महागठबंधन का माने तो यह बड़ा अंतर पैदा करता है। यानी इस उपचुनाव में मुकेश सहनी और ओवैसी ने मिलकर महागठबंधन की खटिया खड़ी कर दी।