मौज के फेर में रहने से नहीं होती जीवन के उद्देश्य की पूर्ति : पं. चंद्रभूषण

पटना। राजेंद्र नगर में चल रही आठ दिवसीय भागवत कथा के चौथे दिन आचार्य पंडित चंद्रभूषण मिश्रा ने कपिलोपाख्यान एवं ध्रुव चरित्र की व्याख्या की। सोमवार को भागवत कथा का प्रारम्भ करते हुए शास्त्रोपासक आचार्य पंडित चंद्रभूषण मिश्र ने कपिलोपाख्यान एवं ध्रुव चरित्र की व्याख्या करते हुए कहा कि महाराजा उत्तान पाद जी की दो पत्नियां थीं। पहली का नाम सुनीति एवं दूसरी का नाम सुरुचि था। सुनीति के पुत्र ध्रुव एवं सुरुचि के पुत्र उत्तम थे। आचार्यश्री ने कहा कि व्यक्ति दो प्रकार के होते हैं। एक सिद्धांतवादी एवं दूसरा स्वादवादी।

सिद्धांतवादी को पहले दुःख मिलता है परन्तु बाद में आनंद मिलता है परन्तु स्वादवादी को पहले आनंद मिलता है एवं बाद में दुःख मिलता है। आचार्यश्री ने कहा कि जीवन में मौज के फेर में रहने से जीवन बिगड़ जाता है और जीवन के उद्देश्य की पूर्ति नहीं होती है। सुनीति के पुत्र ध्रुव थे। ध्रुव का अर्थ है लक्ष्य की पूर्णता या लक्ष्य की प्राप्ति। ध्रुव का दूसरा अर्थ है निश्चित अर्थात नियमानुसार जीवन जीने से निश्चित रूप से सुख की वृद्धि होती है।

आचार्यश्री ने बताया कि महाराज ध्रुव चार वर्ष की आयु में परमात्मा को प्राप्त कर लिए तथा सदेह देवलोक में गए। इनको मृत्यु की पीड़ा नहीं सहनी पड़ी। ध्रुव की तपस्या के चलते ही उनकी माता सुनीति को मोक्ष की प्राप्ति हुई। यह आदर्श है नियम के अनुसार जीवन जीने का। महाराजश्री ने बताया कि इसी वंश में आगे चलकर एक राजा ने मृत्य की बेटी सुनीथा से विवाह किया। आचार्य श्री ने कहा कि बच्चों में संस्कार दादा-दादी, नाना-नानी एवं माता-पिता से प्राप्त होते हैं। मृत्यु एक देवता है जो रुलाने का काम करता है। बेटी सुनीथा में वही संस्कार था, जिससे बेन नाम का एक राजा पैदा हुआ जो समाज के लिए अभिशाप था। उसने सामाजिक ढांचे पर प्रहार किया और महात्माओं के श्राप से उसकी मृत्यु हुई। उसके मरे शरीर को मंथन कर महात्माओं ने दो लड़के पैदा किये। पहले का नाम निषाद एवं दूसरे का नाम महाराज पृथु था।

पृथु ने ही पहली बार धरती को समतल कर अपने बड़े भाई निषाद से सिंचाई कराया। उसी दिन से पृथु के नाम पर जमीन का नाम पृथ्वी पड़ा। महाराज श्री ने कहा कि व्यक्ति को संस्कार बढ़ाने के लिए नियमबद्ध जीवन जीना चाहिए। इससे अपने जीवन के साथ समाज का कल्याण अपने आप होता जाता है। एमपी जैन ने बताया की रविवार की कथा में पूरे राय परिवार सहित सैकड़ों की संख्या में महिलाएं एवं पुरुष मौजूद रहे।

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Author: undekhilive

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