हरित बजट में पिछले वर्ष की तुलना में 28 फीसदी की बढ़ोतरी

पटना। हरित बजट के आकार में सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष मेें 28 फीसदी की बढ़ोतरी की है। चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 का हरित बजट राज्य बजट का लगभग 3.79 फीसदी है, जो पिछले वित्तीय वर्ष से 0.55 प्रतिशत अधिक है। चालू वित्तीय वर्ष में 237 हरित बजट टैग की गयी योजनाओं में से 56 फीसदी केंद्र प्रायोजित योजना, 28 फीसदी राज्य योजना और शेष केंद्रीय प्रक्षेत्र की योजना है। चिह्नित विभागों के स्कीम बजट में हरित बजट का प्रतिशत वित्तीय वर्ष 2022-23 के 9.73 फीसदी से बढ़कर चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में 12.54 फीसदी हो गया है।

दरअसल, सरकार ने जलवायु परिवर्तन के उभरते खतरे की भरपाई के लिए हरित बजट को प्रोत्साहन देने का फैसला किया है। बिहार में इसके मद्देनजर वित्तीय वर्ष 2020-21 से हरित बजट पेश करने का सिलसिला जारी है। इससे जल-जीवन-हरियाली अभियान को गति मिलेगी। हरित बजट दस्तावेज में पर्यावरण संबंधी नीतियों, प्रक्रियाओं तथा इसके क्रियान्वयन में सततता को विशेष महत्व दिया गया है। राष्ट्रीय तथा स्थानीय पर्यावरणीय लक्ष्यों और प्रतिबद्धताओं के साथ बजटीय ट्रैकिंग और टैगिंग को रेखांकित करना ही हरित बजट का मुख्य उद्देश्य है। हरित बजटिंग की भूमिका को सतत विकास में दुनिया में मान्यता दी गयी है।

पर्यावरणीय स्थिरता के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इसे एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शिका माना जा सकता है। साथ ही सतत विकास के लिए नीतिगत सामंजस्य बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। हरित बजट टैगिंग को सतत विकास के परिणामों को मुख्य धारा में लाने महत्वपूर्ण भूमिका माना जा सकता है। एसडीजी प्रदर्शन तथा भविष्य के नीतिगत आयामों के आधार पर सरकार ने हरित बजट टैगिंग के लिए 8 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों तथा 19 विभागों की पहचान की है। सरकार का मानना है कि हरित बजट को जल-जीवन-हरियाली मिशन के उद्देश्यों के अनुरूप क्षेत्रीय क्रिया-कलापों की निगरानी तथा पर्यावरणीय चेतना के प्रसार के लिए एक महत्वपूर्ण ढांचे के रूप में इसे विकसित किया जायेगा।

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Author: undekhilive

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