जैन मंदिरों में आस्था का उत्साह, भगवान चंद्रप्रभु और पार्श्वनाथ का जन्म एवं तप कल्याणक मनाया

पटना। जैन समाज ने भगवान चंद्रप्रभु और भगवान पार्श्वनाथ का जन्म और तप कल्याणक भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया। पटना के पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, मीठापुर, मुरादपुर, कमलदह और अन्य जैन मंदिरों में विशेष धार्मिक आयोजन किए गए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और भगवान के जीवन, उपदेशों और आदर्शों को स्मरण किया।

अभिषेक और पूजा-अर्चना
जैन समाज के एमपी जैन ने बताया कि इस अवसर पर भगवान चंद्रप्रभु और भगवान पार्श्वनाथ की विशेष अभिषेक और पूजा-अर्चना की गई। पूजा के दौरान भगवान के जीवन के प्रेरणादायक प्रसंगों और उनके उपदेशों को साझा किया गया। श्रद्धालुओं को यह प्रेरणा दी गई कि वे भगवान के संदेशों को अपने जीवन में अपनाएं और सच्चे धर्म मार्ग पर चलें।

मुरादपुर और जिया तमोली गली में भव्य आयोजन
मुरादपुर दिगंबर जैन मंदिर में शांतिधारा का विशेष आयोजन किया गया। इसे सुबोध फंटी और निखिल जैन ने संपन्न कराया। वहीं, जिया तमोली गली स्थित चंद्रप्रभु जी दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर में मंगल कलश स्थापना, शांतिधारा और आरती का आयोजन हुआ। बिहार राज्य दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के सचिव पराग जैन ने बताया कि इस मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। श्रद्धालुओं ने विशेष आराधना की और भगवान चंद्रप्रभु के अतिशय क्षेत्र में अपनी आस्था प्रकट की।

कदमकुआं, मीठापुर और अन्य मंदिरों में आयोजन
कदमकुआं, मीठापुर, और कमलदह के जैन मंदिरों में भी भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत माहौल देखने को मिला। यहां भी भगवान चंद्रप्रभु और भगवान पार्श्वनाथ की पूजा-अर्चना, अभिषेक और मंगल आरती का आयोजन हुआ। श्रद्धालुओं ने भगवान के जीवन के आदर्शों को समझने और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

संदेशों का अनुपालन
इस अवसर पर वक्ताओं ने भगवान चंद्रप्रभु और पार्श्वनाथ के जीवन और उपदेशों को याद करते हुए उनके महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि भगवान के उपदेश हमें सत्य, अहिंसा और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

जैन समाज की एकजुटता का उदाहरण
इन आयोजनों ने जैन समाज की एकजुटता और धार्मिक आस्था को मजबूत किया। भगवान चंद्रप्रभु और पार्श्वनाथ का जन्म और तप कल्याणक श्रद्धा और भक्ति से मनाने के इन आयोजनों ने समाज के सदस्यों को एक साथ आने और भगवान के आदर्शों को अपनाने का अवसर प्रदान किया। ऐसे आयोजनों से न केवल धार्मिक वातावरण का निर्माण होता है, बल्कि समाज के सभी वर्गों में सद्भाव और सहयोग का भाव भी बढ़ता है।

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Author: undekhilive

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