पटना। बिहार में शराबबंदी के खिलाफ सरकार के घटक दलों में ही विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं। पहले हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा यानी हम के संरक्षक जीतन राम मांझी इस पर सवाल उठाते रहे हैं और अब कांग्रेस की विधायक प्रतिमा कुमारी ने शराबबंदी को विफल बताते हुए इसे हटाने की मांग की है। प्रतिमा कुमारी ने विधायक ने कहा कि आंखें बंद करने से सच्चाई नहीं छिप सकती है। हम सभी को इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह विफल है।
सरकार में शामिल कांग्रेस पार्टी की विधायक ने पटना में कहा कि अगर बिहार में शराबबंदी है तो फिर शराब से भरे बड़े बड़े ट्रक कहां से मिल रहे हैं। शराब पीने से लोगों की मौत होती है और अधिकारी अज्ञात बीमारी मौत बताते हैं।
विधायक ने तल्ख अंदाज में कहा कि शराबबंदी के बाद भी राजस्व में कमी नहीं आने की बात करने वाले बताएं कि अगर सरकार के पास पैसा है तो क्यों नहीं स्कूली बच्चों को बैठने के लिए टेबल दिया जा रहा है। स्कूलों में बच्चे क्यों जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। डेंगू से बच्चों की मौत हो रही है पर फॉगिंग तक नहीं कराई जा रही। हम प्रमुख जीतन राम मांझी रोज एक पउआ पीने की छूट देने की बात कहते रहते हैं तो क्यों नहीं वह इस मसले पर मुख्यमंत्री से बात करते हैं।
कहा कि राज्य सरकार को चाहिए कि वह राशन दुकान की तर्ज पर शराब की बिक्री कराए। इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी और लोगों को वैध रूप से शराब भी मिलेगा। अगर कोई शराब पीकर हो हंगामा करता है तो उसके खिलाफ पहले से मौजूद उत्पाद कानून के तहत कार्रवाई की जाए। ऐसे लोगों पर भारी जुर्माना लगाया जाए।
पहले भी कई कारणों से चर्चा में रह चुकी हैं प्रतिमा
कांग्रेस विधायक प्रतिमा कुमारी पहले भी कई कारणों से चर्चा में रही हैं। 2020 में चुनाव जीतने के बाद आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने एक दिव्यांग को थप्पड़ जड़ दिया था। उनके अनुसार दिव्यांग उन्हें अश्लील इशारे कर रहा था। दूसरी तरफ, दिव्यांग के परिजनों का कहना था कि वह बोल नहीं सकता है और इशारों से विधायक से ट्राइसाइकिल के लिए गुहार लगा रहा था।
मान-सम्मान का मुद्दा उठाया था
पिछले साल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, राजापाकर में कोविड टीकाकरण के महाअभियान का उद्घाटन करने पहुंची प्रतिमा कुमारी ने सम्मान नहीं दिए जाने का आरोप लगाते हुए प्रभारी चिकित्सा प्रभारी और सिविल सर्ज को जमकर खरीखोटी सुनाई थी। कहा कि सुशासन में जनप्रतिनिधि का कोई सम्मान नहीं है। अफसरशाही हावी है। अफसर जनप्रतिनिधियों को सम्मान नहीं देते हैं। वह निर्धारित समय पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची गई थीं, लेकिन यहां कोई व्यवस्था नहीं थी। यही नहीं उनके आने की सूचना के बाद भी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अपने चैंबर में ही बैठे रहे। उनके मान-सम्मान का ख्याल नहीं रखा। गुस्से में उन्होंने तुरंत फोन पर वैशाली सिविल सर्जन से शिकायत कर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. जितेंद्र मोहन पासवान को हटाने की मांग की।