लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों की एकता के बारे में जदयू के पूर्व विधान पार्षद डॉ. रणबीर नंदन ने कहा है कि बिहार में महागठबंधन की बैठक सम्पन्न होने के बाद दूसरी बैठक बेंगलुरु में होने जा रही है। बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने अथक प्रयास कर सभी विपक्षी दलों को जोड़ने का कार्य किया। विपक्षी दलों को एक प्लेटफॉर्म पर लाने का कार्य किया, वह अतुलनीय है। और महागठबंधन की दूसरी बैठक निश्चित रूप से पूरे भारत में यह मैसेज देगी, कि यदि भाजपा के खिलाफ सम्मिलित विपक्ष का एक प्रत्याशी लड़ाया जाएगा तो देश में महागठबंधन की सरकार बनने से कोई रोक नहीं सकता।
उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी ने बिहार जैसे बीमारू राज्य को अपनी इच्छाशक्ति, दूरदर्शिता और विकासवादी सोच के जरिए सबसे तेज विकास दर वाले राज्यों की सूची में ला दिया है। साइकिल योजना, हर घर नल का जल, जल जीवन हरियाली, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड जैसी कई योजनाओं हैं जिसको देश में केंद्रीय स्तर और अलग अलग राज्यों के स्तर पर सराहना मिली है। कई योजनाओं को केंद्र ने सीधे अपना भी लिया है। यह पूरा देश जानता है कि इन योजनाओं के ब्रांड अम्बेस्डर नीतीश जी हैं। भारतवर्ष के अलग अलग राज्यों में रहने वाले बिहार के सभी छात्रों से आह्वान है कि वे सभी माननीय नीतीश कुमार जी के इन कार्यों की चर्चा करें।
डॉ. नंदन ने कहा कि 2024 में महागठबंधन में विपक्षी दलों की एकजुटता निश्चित तौर पर केंद्र की सत्ता में बदलाव ला देगी। 2014 में भी अगर सभी दलों ने एकजुटता दिखाई होती, तो भाजपा सत्ता तक पहुंचती ही नहीं। 2014 के एनडीए में जदयू शामिल नहीं था, जिसका नतीजा था कि एनडीए को जीत तो 31 सीटों पर मिली थी लेकिन वोट सिर्फ 39 फीसदी ही मिला था। जबकि विपक्ष में अलग अलग चुनाव लड़ने वाले दलों को जीत सिर्फ 9 सीटों पर मिली थी लेकिन वोट का प्रतिशत भाजपा और एनडीए के मुकाबले कहीं अधिक था। 2019 में नीतीश कुमार जी के करिश्मे के कारण एनडीए का वोट शेयर 54 फीसदी से अधिक था, जिसके कारण नरेंद्र मोदी को सत्ता की कुर्सी मिली थी।
डॉ. नंदन ने कहा कि बिहार की राजनीति समाजवाद और विकासवाद की राजनीति है। किसी भी विभाजनकारी व्यक्ति को बिहार की राजनीति में कभी पसंद नहीं किया गया है। महागठबंधन के जीत की कहानी माननीय श्री नीतीश कुमार जी ने लिख दी है और वही होना ही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा बिहार में जिन सीटों को भी अपना गढ़ मानती है, वहां से इस बार हार की वो कहानी लिखी जाएगी, जो भाजपा ने सोची भी नहीं होगी। चाहे वो पटना साहिब की सीट हो या फिर मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी हो या फिर चंपारण की सीटें या फिर कोई भी और सीट। भाजपा की जीत बाढ़ का पानी था , जो तबाही तो मचा चूका है। लेकिन अब नीतीश कुमार जी के फेस के आगे भाजपा का हर दांव फेल होगा।