भागवत का उद्देश्य मानवीय गुणों का विकास : पं. चंद्रभूषण मिश्रा

पटना। राजेन्द्रनगर में चल रहे आठ दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य पंडित चंद्रभूषण मिश्रा ने भागवत की व्याख्या की। दोपहर बाद भागवत कथा का प्रारम्भ करते हुए आचार्य डॉ. चंद्रभूषण मिश्र की ओर से पंचम, षष्ठ एवं सप्तम तीनो स्तंभों का सारंश बताया गया। उसमें आये प्रमुख चरित्रों की विस्तार से चर्चा की। आचार्यश्री ने कहा कि पंचम स्तम्भ में भूगोल, खगोल का वर्णन है। आज वैज्ञानिक धरती की गति का वर्णन चांद से मानते हैं परन्तु भागवत में सूर्य की गति का वर्णन है। हम जहां खड़े होते हैं वहीं से पूरब, पश्चिम, उत्तर-दक्षिण शुरू होता है। भूत, वर्तमान और भविष्य भी अपनी स्थिति से जाना-समझा एवं परखा जाता है।

आचार्य श्री ने चौदह लोकों की चर्चा करते हुए बताया कि इस धरती के ऊपर सात लोक हैं, जिसको भूलोक, भुवनलोक आदि नामो से जाना जाता है। धरती के नीचे भी सात लोक हैं, जिनको तल, तलातल, रसातल आदि नामों से जाना जाता है। छठे स्तम्भ में गज ग्राह की चर्चा में प्रदशन की बात को रूपायित किया गया है। आचार्य श्री ने कहा कि व्यक्ति की अपने गुणों से ही पहचान है। वह जब कुछ और ज्यादा मान-सम्मान पाने की चेष्टा करता है तो उसे बदनामी ही हाथ लगती है। हमारे मन में तरह-तरह की वृतियां होती हैं और विवेक की कमी के कारण हम उसी की पूर्ति में लगे रहते हैं।

आचार्य श्री ने कहा कि वृतासुर का चरित्र भागवत का प्रसिद्द चरित्र है, जिसमें मनुष्य की बढ़ती चाह को समेटने का उपदेश दिया गया है। हम किसी से भी मिलते हैं तो उसका उपयोग करने लगते हैं। भगवान के पास जाकर भी बहुत कुछ मांगने की वृत्ति बढ़ जाती है और इस मांग और पूर्ति के झमेले में भक्ति तिरोहित हो जाती है। आचार्य श्री ने कहा कि सम्पूर्ण भागवत में प्रह्लाद एक ऐसा भक्त है जो भगवान से प्रार्थना करता है कि मेरे मन में कभी किसी से कुछ मांगने की वृत्ति न जगे यथा लाभ-संतोष का जीवन ही श्रेष्ठ जीवन माना जाता है।

आचार्य श्री ने कहा कि सप्तम स्तम्भ के अंतिम कुछ अध्यायों में भगवान वृतात्रेय और प्रह्लाद के संवाद द्वारा पुरुष धर्म, स्त्री धर्म, सामाजिक धर्म आदि की चर्चा करते हुए कर्तव्य बोध कराया गया है। भागवत का यह उद्देश्य है कि व्यक्ति मानवीय गुणों का विकास कर के ही अपने को सदा आनंदित रख सकता है। मानवीय गुणों का विकास ही कृपा का प्रसाद माना जाता है। एमपी जैन ने बताया की कथा में पूरे राय परिवार सहित सैकड़ों की संख्या में महिलाएं एवं पुरुष उपथित थे। सुबह पूजा पर मुख्य यजमान राजीव राय एवं पूजा राय बैठे।

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Author: undekhilive

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