जैन धर्म के 24वें एवं अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का तप कल्याणक महोत्सव धूम-धाम से दिगम्बर जैन कोठी, राजगीर में भक्तिमय वातावरण में गुरुवार को सानन्द सम्पन्न हुआ ।
ग्यारह फुट ऊँची प्रतिमा का हुआ भव्य जलाभिषेक…
तप कल्याणक के पावन अवसर पर सर्वप्रथम दिगम्बर जैन कोठी में प्रातः नित्य पूजन, अभिषेक का कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसके पश्चात ‘वीरशासन धाम तीर्थ’ में विराजमान भगवान महावीर स्वामी की ग्यारह फुट ऊंची विशाल पद्मासन प्रतिमा के समक्ष उपस्थित भक्तजनों के मंत्रोच्चारण के साथ पूजन, अभिषेक किए जाने से पूर्व बोलियां लगाई गई । पहले शुद्ध जल, फिर दूध, दही, इच्छुरस, सर्वोद्धि, घृत कलश, पंचामृत से अभिषेक किया गया तत्पश्चात् शांतिधारा, मंगल आरती एवं पूजन अनुष्ठान की प्रक्रिया में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।
वीरशासन तीर्थ से निकाली गई भव्य रथयात्रा…
भव्य रथयात्रा में जैन श्रद्धालुओं ने भाग लिया। रथयात्रा वीरशासन धाम तीर्थ से भव्यता पूर्वक झमाझम वारिस के बीच निकाली गई। वारिस के फुहारों और भक्ति संगीत से पूरा माहौल भक्तिमय दिखा। महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सभी ने जैन ध्वज लिए भगवान महावीर के जयकारें लगाये जा रहे थे।
वहीं भगवान महावीर स्वामी को रथ पर विराजमान करके बाजार होते हुए भगवान महावीर स्वामी की तप स्थली पहुँचे । भगवान महावीर के तप (दीक्षा) कल्याणक स्थली के प्राचीन चरण के समक्ष प्रतिमा स्थापित कर मंत्रोच्चारण के साथ पूजा-अर्चना के साथ 108 कलशो से महामस्तकाभिषेक का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। जुलूस दीक्षा कल्याणक स्थली से बस स्टैंड होते हुए श्री दिगम्बर जैन कोठी पहुंची, जहां रथयात्रा शोभायात्रा का समापन हुआ। संध्या मन्दिर जी में मंगल आरती भजन का कार्यक्रम आयोजन के बाद दीक्षा कल्याणक महोत्सव सम्पन्न किया गया ।
भगवान महावीर ने कहा जो धर्मात्मा है, जिसके मन में सदा धर्म रहता है, उसे देवता भी नमस्कार करते हैं तथा अपने उपदेशो में धर्म, सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह, क्षमा पर सबसे अधिक जोर दिया। त्याग और संयम, प्रेम और करुणा, शील और सदाचार ही उनके प्रवचनों का सार था।
इस आयोजन में श्री दिगम्बर जैन कोठी, राजगीर के सभी अधिकारीगण, कर्मचारीगण, स्थानीय जैन समाज, जैन तीर्थ यात्री उपस्थित हुए।