जैन धर्मावलंबियों ने 10वें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ जी का मोक्ष कल्याणक भक्ति एवं श्रद्धा से मनाया

अनदेखी लाइव, पटना : पटना जैन समाज की ओर से श्रीपार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, कदमकुआं सहित मीठापुर, मुरादपुर, कमलदह, गुरारा, कालीबीबी का कटरा एवं अन्य जैन मंदिरों में जैन धर्म के 10वें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ जी का मोक्ष कल्याणक भक्ति एवं श्रद्धा से मनाया गया। जैन समाज के एम पी जैन ने बताया कि इस मौके पर जैन समाज के लोगों ने भगवान शीतलनाथ की पूजा-अर्चना की और उनके जीवन एवं उपदेशों को याद किया। भगवान शीतलनाथ के मोक्ष कल्याणक के अवसर पर अभिषेक, शांतिधारा एवं पूजा के बाद निर्वाण लाडू चढाया गया। उनके जीवन एवं उपदेशों को याद करने और उनके संदेशों को अपने जीवन में लागू करने के बारे में बताया गया। श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, कदमकुआं में अभिषेक, पूजा जिनेश जैन एवं अन्य द्वारा तथा मीठापुर दिगम्बर जैन मंदिर एवं अन्य दिगम्बर जैन मंदिरों में अभिषेक शांतिधारा किया गया तथा निर्वाण लाडू चढाया गया। मौके पर बिहार राज्य दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमिटी के मानद मंत्री पराग जैन ने बताया कि 10वें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ जी स्वामी का मोक्ष कल्याणक बिहार स्टेट दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमिटी द्वारा संचालित बिहार के राजगीर, पावापुरी, कुंडलपुर सहित सभी तीर्थ क्षेत्रों में हुआ जहाँ श्रद्धालुओं ने निर्वाण लाडू चढाकर भगवान का मोक्ष कल्याणक मनाया।

श्रद्धालुओं ने चढ़ाया निर्वाण लाडू : भगवान का मोक्ष कल्याणक शिखरजी मे अश्विन शुक्ल अष्टमी को हुआ है। पराग जैन ने बताया कि पटना से काफी अधिक श्रद्धालु मोक्ष कल्याणक पर वहां गए हैं। जैन ने बताया कि सभी मंदिरों में काफी अधिक संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान का मोक्ष कल्याणक मनाया एवं निर्वाण लाडू चढाया। साथ ही कमलदह दिगम्बर जैन मंदिर में शांतिधारा एवं मंगल आरती सोनू जैन एवं अन्य श्रधालुओं द्वारा किया गया। एम पी जैन ने बताया कि शीतलनाथ जी जैन धर्म के दसवें तीर्थंकर हैं। उनका जन्म भद्रिकापुरी के क्षत्रिय राजपरिवार में माघ मास के कृष्ण पक्ष की 12 तिथि को हुआ था। इनकी माता का नाम सुनंदा रानी और पिता का राजा दृढरथ था।

मोक्ष कल्याणक क्या है : जैन ने बताया कि मोक्ष कल्याणक भगवान के जीवन का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण क्षण होता है जब उन्होंने सभी कर्मों का क्षय करके मोक्ष (निर्वाण) प्राप्त किया और सिद्ध पद को प्राप्त हुए। यह दिन जैन धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

 

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Author: undekhilive

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