क्षमा वीरों का आभूषण है, कायर व्यक्ति क्षमा नहीं कर सकता
अनदेखी लाइव, पटना.
जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर भारतगौरव चारित्रचंद्रिका गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के ससंघ सान्निध्य में दशलक्षण महापर्व की पूर्णता पर क्षमावाणी महापर्व मनाया गया। इसमें साल भर में जाने-अनजाने में हुई भूलों के लिए एक-दूसरे से परस्पर क्षमा मांगते हैं। क्षमा वीरस्य भूषणम्। क्षमा वीरों का आभूषण है, कायर व्यक्ति क्षमा नहीं कर सकता है। क्षमा निजात्मा का गुण है। क्रोधभाव अग्नि कण है जिसको बुझाने के लिए क्षमारूपी जल का होना आवश्यक है। आग से आग कभी नहीं बुझ सकती है। परस्पर में एक-दूसरे के प्रति मैत्री का भाव एवं प्रेम, वात्सल्य का होना बहुत जरूरी है क्योंकि यह प्रगति का मार्ग है। ऐसा जरूरी नहीं है कि जब कोई गलती हो तभी माफी मांगी जाये। आपस में वर्ष भर में एक बार इस पर्व के माध्यम से व्यक्ति एक-दूसरे के करीब आकर के, गले लगा करके क्षमा मांगता है। विजय कुमार जैन, जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर के प्रतिष्ठाचार्य ने बताया पूज्य माताजी ने अपने प्रवचनों के माध्यम से क्षमावाणी पर्व की महत्ता पर प्रकाश डाला है।
प्रातःकाल क्षमावाणी के अवसर पर भगवान का अभिषेक एवं शांतिधारा सम्पन्न की गई। शांतिधारा करने का सौभाग्य श्रीमती मंजुलाबेन महेन्द्र जैन-विजयनगर, श्री अशोक निशा पहाड़िया-खंडवा, श्री कालूलाल कमला जैन-फलासिया, श्रीमती यशोदा पवन जैन, श्री सुनील मीना गंगवाल-इंदौर, श्रीमती शोभा एस. जैन-श्रीरामपुर को प्राप्त हुआ। त्रैलोक्य महामंडल विधान के समापन अवसर पर पूर्ण आहूती हवन के साथ विधान का समापन हुआ। इस अवसर पर दस दिनों से उपवास कर रहे तपस्वी का पारणा सम्पन्न कराया गया। मुख्यरूप से श्रीमती रश्मि जैन-इंदौर, प्राची जैन-सनावद दस उपवास के उपलक्ष्य में पारणा हुआ।सम्पूर्ण विधिविधान प्रतिष्ठाचार्य श्री विजय कुमार जैन, हस्तिनापुर एवं पं. सत्येन्द्र कुमार जैन, तिवरी म.प्र. के द्वारा सम्पन्न कराया जा रहा है।
श्रद्धालु एम.पी. जैन ने बताया कि मध्यान्ह में प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी के द्वारा शरदपूर्णिमा रिद्धि सिद्धि महोत्सव के अंतर्गत रिद्धि मंत्र का जाप्य करवाया गया। संघस्थ ब्रह्मचारिणी बहनों के द्वारा गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की पूजन सम्पन्न की गई। सम्पूर्ण कार्यक्रम संस्थान के यशस्वी अध्यक्ष पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी के कुशल निर्देशन में सम्पन्न हो रहे हैं। सांयकालीन सभा में तीर्थंकर भगवन्तों की, जम्बूद्वीप रचना एवं पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की आरती की गई। देश के विभिन्न आंचलों से पधारे श्रद्धालुओं ने उत्साह पूर्वक सभी कार्यक्रमों में सहभागिता प्रदान की।
पर्युषण पर्व की समाप्ति पर उपवास व्रत संपन्न