मीठापुर जैन समाज की महिलायें उत्तम सत्य धर्म पूजा दिवस पर संध्या आरती करते हुए
दस दिवसीय जैन पर्युषण पर्व के पांचवें दिन उत्तम सत्य धर्म की पूजा होती है. आज पटना के मीठापुर, कदमकुआँ, मुरादपुर, कमलदह मंदिर गुलजार बाग सहित सभी दिगम्बर जैन मंदिरों में सत्य धर्म की पूजा की गयी. सभी दिगम्बर जैन मंदिरों में सुबह से हीं पूजा करने हेतु श्रद्धालु मंदिरों में पहुँचने लगे. मंदिरों में श्रद्धालुओं ने भगवान् का अभिषेक किया एवं शांतिधारा के बाद सत्य धर्म की पूजा की गयी.
दिगंबर जैन समाज द्वारा मनाया जानेवाला दस दिवसीय महापर्व पर्युषण के पांचवें दिन आज उत्तम सत्य धर्म की पूजा हुई। जैन समाज के एम पी जैन ने बताया कि पर्युषण पर्व में आत्मा के दस स्वभाव पर कैसे विजय पाया जाए इसी को बताया जाता है। पर्युषण पर्व का पांचवां दिवस ‘उत्तम सत्य’ नामक दिवस है. सत्य का बोध होने पर शब्द की आवश्यकता नहीं होती है. जैसे गुड़ मीठा होता है यह सत्य है लेकिन शब्दों में नहीं कह सकते हैं कि उसका स्वाद किस तरह का है. सत्य दो प्रकार का होता है. जैन मुनि महाराज का सत्य, केवल सत्य ही रहेगा जबकि गृहस्थ के सत्य में अलंकारयुक्त / भाव युक्त झूठ हो सकता है जैसे किसे को कहे कि आपका तेज तो सूर्य के सामान है, यह अलंकारयुक्त सत्य है. सत्य आत्मा का स्वाभाविक गुण है। सत्य आचरण के बिना आत्म शुद्धि असंभव है। सत्य ही आत्मा का धर्म है। जो मनुष्य तप एवं साधना के द्वारा सत्य को प्राप्त कर लेता है वह अपनी आत्मा पर विजय प्राप्त कर सकता है।
एम पी जैन ने बताया कि जैन मुनि भद्रबाहु महाराज का कहना है कि जब व्यक्ति क्रोध, अहंकार, माया-चारी एवं लोभ को नियंत्रित कर लेता है, तो सहज ही उसके जीवन में सत्य का अवतरण होता है। फिर उसकी ऊर्जा कभी भी क्रोध आदि के रूप में विघ्वंसक रूप धारण नहीं करती। सत्य को धारण करने वाला हमेशा अपराजित, सम्माननीय एवं श्रद्धेय होता है। “उत्तम सत्य वचन मुख बोले, सो प्राणी संसार न डोले” अर्थात जिसकी वाणी व जीवन में सत्य धर्म अवतरित हो जाता है , उसकी संसार सागर से मुक्ति एकदम निश्चित है। सत्य आत्मा का स्वाभाविक गुण है। सत्य आचरण के बिना आत्म शुद्धि असंभव है। सत्य को अंगीकार किये बिना आत्मा का उद्धार असंभव है। सत्य ही आत्मा का धर्म है। जो वस्तु हमें दिखाई देती है वह सत्य है। जैसे पानी दिखाई पड़ता है वह सत्य है। लेकिन नहीं दिखाई देने वाली वस्तु भी सत्य हो सकती है जैसे हवा हमें नहीं दिखाई देती है ,हम उसका अनुभव करते है वह भी सत्य है। सत्य आचरण जीवन की तपश्चर्या है, सत्य के मार्ग में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। जो मनुष्य तप एवं साधना के द्वारा सत्य को प्राप्त कर लेता है वह अपनी आत्मा पर विजय प्राप्त कर सकता है।
एम पी जैन ने बताया कि सोमवार को सभी दिगम्बर जैन मंदिरों में उत्तम संयम धर्म की पूजा की जायेगी.