BPSC ऑफिस के बाहर अभ्यर्थियों का प्रदर्शन, नया नियम स्वीकार्य नहीं

एक और मुख्य आरोपी कपिलदेव कुमार बोकारो से गिरफ्तार

अनदेखी लाइव, पटना.

पटना स्थित BPSC ऑफिस के बाहर शुक्रवार को अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनकी मांग है कि पी.टी परीक्षा पूर्व की तरह ही ली जाए। परीक्षा एक ही दिन, एक ही पाली में कराने और परसेंटाइल लागू नहीं करने की मांग को लेकर सैकड़ों स्टूडेंट्स जुट गए हैं। पी.टी परीक्षा 8 मई को ली गई थी जिसमें लगभग छह लाख उम्मेदवार शामिल हुए थे. पहले बवाल मचा कि आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज से प्रश्न पत्र लीक हो गया है. इस वजह से सभी सेंटर्स की परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी। जब हंगामा बढ़ा तो इसकी जांच आर्थिक अपराध इकाई (EOU)  को दी गयी. अभी यही टीम कर रही है। साजिश तब उजागर हुई जब गया के एक प्राइवेट कॉलेज राम शरण सिंह इविनिंग कॉलेज के प्रिंसिपल, प्रोफेसर, केन्द्राधीक्षक – यानी ALL IN ONE शक्ति कुमार इसका किंगपिन हैं. डेढ़ दर्ज़न से अधिक गिरफ्तारियां भी इस मामले में हो चुकी हैं। उस समय सेवानिवृत्त नौकरशाह आर.के. महाजन अध्यक्ष थे. अब नए अध्यक्ष भी सेवानिवृत्त नौकरशाह अतुल प्रसाद हैं. अब ये परीक्षा 20 एवं 22 सितम्बर को लिया जाने की घोषणा की गयी है. इस बदले नियम से उम्मीदवारों में काफी रोष है. वे इस नियम को शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक रूप से परेशान करनेवाला बता रहे हैं. आयोग का तर्क है कि लाखों अभ्यर्थी होने की वजह से आयोग को सेंटर्स खोजने में काफी दिक्कत हुई थी। परीक्षा सही तरीके से संचालित की जाए इसलिए दो दिनों में लेना निर्धारित किया गया है।  

ज्ञात हो, बीपीएससी के नए अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने पीटी परीक्षा दो पाली यानी दो दिन में कराने और परसेंटाइल सिस्टम के विरोध में अभ्यर्थियों का गुस्सा लगातार कायम है। सोमवार को ट्वीटर पर #BPSC_PT_IN_ONE_SHIFT विरोध में अभियान चलाया था। बता दें कि 20 और 22 सितंबर को निर्धारित पीटी परीक्षा वही परीक्षा है जो 8 मई को ली गई थी। उसमें प्रश्न पत्र लीक होने की वजह से सभी सेंटर्स की परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी। आर्थिक अपराध इकाई (EOU)  की जैसे-जैसे जाँच आगे बढ़ी, पेपर लीक का षड़यंत्र सामने आने लगा. पता चला कि गया के डेल्हा में है एक प्राइवेट कॉलेज राम शरण सिंह इविनिंग कॉलेज। इसे 2010 में किराए पर बिल्डिंग लेकर खोला गया था। शक्ति सिंह खुद ही इस कॉलेज के प्रिंसिपल भी हैं। साल 2011 में इनके कॉलेज को एफिलिएशन भी मिला था। हालांकि, साल 2018 में मान्यता रद्द भी कर दी गई थी। रामशरण सिंह इसी शक्ति सिंह के पिता थे। वे FCI में सामान्य कर्मी थे। इस कॉलेज की मान्यता बीते चार वर्षों से रद्द है। बावजूद इसके डेढ़ कट्ठे की बिल्डिंग में न केवल इवनिंग कॉलेज बल्कि एक स्कूल भी चलता है। वह भी सिर्फ बोर्ड पर। यहां हमेशा किसी न किसी प्रतियोगी परीक्षाओं का सेंटर पड़ता है। इसके पीछे राजनीतिक पहुंच और कई नेताओं का शह बताया जा रहा है। दरअसल शक्ति सिंह ने शिक्षा माफिया बनने के लिए ही रखी थी कॉलेज की नींव. पहले उसने वर्षों तक एक भाजपा विधायक के साथ समय बिताया, लेकिन वहां मन नहीं रमा तो उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी (RLSP) ज्वाइन कर ली। वहां उसे प्रदेश स्तर का पद भी झटके में मिल गया। राम शरण सिंह इवनिंग कॉलेज को 2016 में 120 सीट की ही स्वीकृति थी, लेकिन प्रिंसिपल शक्ति सिंह ने करीब 1500 लड़कों का फार्म भरवा दिया। 1500 लड़कों के एडमिट कार्ड नहीं आए तो सभी ने जमकर बवाल काटा। मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि कॉलेज प्रबंधन सभी बच्चों की फी लौटाए। साथ ही इसकी मान्यता भी रद्द करने की कार्रवाई की गई। पैसा अब तक कॉलेज द्वारा नहीं लौटाया गया है। चर्चा यह भी है कि अपनी धाकड़ पहुँच के बल पर वह सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा के लिए तीन लाख रुपए में लड़कों व उसके अभिभावकों से सौदा किया था। कई लड़कों ने पैसे भी दिए थे। लेकिन इस बात का आधिकारिक खुलासा अब तक नहीं हो सका है। यही नहीं, हाल ही में उसने ऑनलाइन प्रतियोगी परीक्षाओं का सेंटर अपने कॉलेज में पाने के लिए करीब एक करोड़ रुपए इन्वेस्ट किए हैं। यह रुपए अपने कॉलेज में 500 कंप्यूटर और इंटरनेट पर खर्च किए हैं।

लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं जमुई के सांसद चिराग पासवान, पटना उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता डॉ. कौशलेन्द्र नारायण, जदयू के छात्र नेता चंदन यादव का कहना है कि ऐसे भ्रष्ट एवं जालसाज़ लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। शक्ति सिंह ने बीपीएससी पीटी परीक्षा का पेपर लीक कर के प्रदेश की राष्ट्रीय स्तर पर न केवल छवि खराब की है बल्कि छह लाख से अधिक अभ्यर्थियों का भविष्य बर्बाद किया है।

प्रिंसिपल शक्ति सिंह से पूछताछ के बाद EOU के सूत्रों ने बताया कि गत 8 मई को सुबह 10:15 बजे जैसे ही पेपर कॉलेज में पहुंचा, प्रिंसिपल ने उसके “C” सेट को अपने मोबाइल से स्कैन कर 10.24  बजे कपिलदेव कुमार को व्हाट्सएप पर भेज दिया था। दिलचस्प यह है कि कपिलदेव भारत सरकार के C.D.A में कर्मचारी है खुद भी बीपीएससी की पी.टी दे रहा था और उसका सेंटर डुमरांव था। कपिलदेव ने प्रश्नपत्र प्रवीण नाम के शख्स को भेजा. उसने वह व्हाट्सएप मेसेज महेश नाम के व्यक्ति और उसने दिल्ली में प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन छात्रों, जिनमें दो बिहार और एक उत्तर प्रदेश का है, को 11.10 बजे भेजा और बिहार के एक सरगना पिंटू यादव को 11.20 बजे भेजा. बिहार में प्रतिनियुक्त एक I.A.S अधिकारी पंचायती राज निदेशक रणजीत कुमार सिंह को उनके मोबाइल पर यही प्रश्नपत्र 11.15 बजे मिला जिसे उन्होंने तत्काल BPSC के संयुक्त सचिव सह परीक्षा नियंत्रक अमरेन्द्र कुमार सिंह के मोबाइल पर भेज दिया. यानी 12 बजे परीक्षा शुरू होने से पहले ही प्रश्नपत्र सैकड़ों लोगों के मोबाइल पर था लेकिन पता तब चला जब आरा के कुंवर सिंह कॉलेज पर हंगामा हो गया. इसके बाद तो अफरा तफरी मच गयी और लगभग तीन बजे परीक्षा रद्द करने की घोषणा हो गयी. इसके साथ ही लगभग छह लाख परीक्षार्थियों का भविष्य अंधकारमय हो गया. सवाल है कि इसके लिए कौन दोषी है और इसकी भरपाई कैसे होगी.

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Author: undekhilive

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