पटना । शिक्षकों के मुखर आवाज विधान पार्षद केदारनाथ पांडेय नहीं रहे। खामोशी के साथ विदा हो गए। शिक्षकों की समस्याओं को गहराई से समझने और उनका निदान कराने के लिए सड़क से सदन तक मज़बूती से आवाज उठाने वाले जमीनी स्तर के राजनेता थे केदारनाथ पांडेय। सरलता उनकी पहचान थी।
बिहार विधान परिषद में वरीय सदस्यों में से एक केदारनाथ पांडेय ने सोमवार की सुबह दिल्ली के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। पिछले दिनों ब्रेन हेमरेज के बाद उन्हें मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पटना स्थित बांसघाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित विभिन्न दलों के नेताओं मौजूद रहे।
रिकॉर्ड चार बार परिषद सदस्य रहे
केदारनाथ पांडेय के पास बिहार में सबसे अधिक समय तक एमएलसी बने रहने का रिकॉर्ड है। केदारनाथ पांडेय सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से चार बार विधान पार्षद चुने गए थे। 110 साल पुराने विधान परिषद में सबसे लंबे समय तक सदस्य रहने का रिकॉर्ड उनके नाम है। केदारनाथ पांडेय साल 2002, 2008, 2014 और 2020 में परिषद के सदस्य चुने गये। इसके पहले तीन बार एमएलसी रहने का रिकॉर्ड जयमंगल सिंह का रहा है।
माध्यमिक शिक्षक संघ में शोक की लहर
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ पटना के राज्य अध्यक्ष केदारनाथ पांडेय की दीपावली की सुबह निधन की सूचना मिलने से माध्यमिक शिक्षक संघ में शोक की लहर दौड़ गई। इस सूचना से उनके जनने वाले हतप्रभ रह गए।
मूलत: उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे
उत्तर प्रदेश के बलियापुर जिला के कोटवा नारायणपुर गांव में 1 जनवरी 1943 को जन्मे केदार नाथ पांडेय 1965 से 1981 तक सीवान स्थित श्रीकृष्ण उच्च विद्यालय कैलगढ़ में अध्यापक रहे। 16 मार्च 1981 से 1995 तक सीवान के गया दाय कबीर उच्च विद्यालय में प्रधानाध्यापक रहे। 1995 से 96 तक उन्होंने मार्डन उच्च विद्यालय दरियापुर में भी प्रधानाध्यापक के रूप में अपनी सेवाएं दी।
कई पुस्तकें भी लिखीं
केदारनाथ पांडेय अच्छे लेखक भी रहे। उनकी लिखी कई पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं। कई का उन्होंने संपादन भी किया है। उनकी प्रकाशित कृतियों में हिन्दी नाटक पृथ्वी राज चौहान, कैकेयी, गुरु दक्षिणा, वीर शिवाजी, भोजपुरी नाटक ‘शुरुआत’ शामिल हैं। ‘मैल धुल जाने के गीत’, शिक्षा के सामाजिक सरोकार, शिक्षा को आंदोलन बनाना होगा, ‘यादों के पन्ने’, बीते दौर के भी गीत गाये जायेंगे, महाकाल की भस्म आरती और गांव से शहर जाती सड़क पुस्तक भी लिखी। उन्होंने भोजपुरी पत्रिका ‘माटी के गमक’ का संपादन किया।
केदारनाथ पांडेय के निधन पर किसने क्या कहा
वह एक कुशल राजनेता तथा समाजसेवी थे। वह बिहार में शिक्षा की प्रगति के लिए सतत प्रयत्नशील रहे। उनके निधन से राजनीतिक, सामाजिक एवं शै़क्षिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है।
– फागू चौहान, राज्यपाल, बिहार
शिक्षकों के हित के लिए काम करने वालों में केदारनाथ पांडे सबसे बड़ी आवाज थे। उनके निधन से राजनीतिक, शैक्षणिक और सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है।
– नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार
केदारनाथ पांडेय वामपंथ विचार के एक मजबूत स्तंभ थे। वे शिक्षक नेता थे। उनका सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता में अटूट विश्वास था। उनके निधन से सामाजिक, राजनीतिक एवम शिक्षा जगत को अपुर्णीय क्षति हुई है।ईश्वर दिवंगत आत्मा को चिर शांति दे तथा परिजनों एवम सुभचिंताको को इस दुख की घड़ी मे शोक सहन की शक्ति दे।
– लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार