पटना। महागठबंधन सरकार में सबकुछ ठीक चल रहा है, यह कहना बहुत हद तक गलत नहीं होगा, लेकिन हाल के चार दिनों में शीर्ष स्तर पर कुछ ऐसे बयान आए हैं जो नए सियासी संकेत दे रहे हैं। वैसे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह कह चुके हैं कि कुछ भी हो जाए, लेकिन वह अब बीजेपी में नहीं जाएंगे। उधर, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपने बिहार यात्रा के दौरान गुरुवार को यह कह कर सबको चौंका दिया कि नीतीश कुमार महागठबंधन को छोड़ भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में वापसी कर सकते हैं। सियासी हलके में प्रशांत किशोर के इस बयान को बहुत गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था, लेकिन इसी दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को बापू सभागार में आयोजित स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रम में कुछ ऐसा कहा कि प्रशांत किशोर के बयान को उससे जोड़कर मायने निकाले जाने लगे। इस बीच शुक्रवार को ही गठबंधन सरकार में अहम साझीदार हम के संरक्षक पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी नीतीश कुमार के फिर से पाल बदल का बयान देकर सबको चौंका दिया।
पटना में शाम होते दुकानें बंद हो जाती थीं
मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रम में कहा कि पटना में वर्ष 2005 के बाद काफी बदलाव आये हैं। इसके पहले कि क्या स्थिति थी? शाम होते ही यहां की दुकानें बंद हो जाती थीं। आज देर रात तक दुकानें खुली रहती हैं और सबलोग खरीदारी करते हैं। बिहार में कितने काम हुए हैं, उसकी भी जानकारी लोगों को रहनी चाहिए। ताकि, नयी पीढ़ी उससे अवगत हो सके।
यहां यह गौर करने वाली बात यह है कि जिस 2005 से पहले वाली स्थिति का जिक्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं उस समय राजद का शासन था और राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं। अभी नीतीश कुमार उसी राजद के सहयोग से मुख्यमंत्री हैं और राबड़ी देवी के छोटे बेट तेस्वी प्रसाद यादव उनके डिप्टी हैं। और जिस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने यह बयान दिया उसमें तेजस्वी भी मौजूद थे। उस बयान के बाद राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या मुख्यमंत्री ने जानबूझकर राजद शासन की याद दिलाई या रौ में बोलते चले गए। वैसे नीतीश कुमार को नजदीक से जानने-समझने वाले यह कहते हैं कि वह यूं ही कुछ नहीं बोलते।