सर्वे में हुआ खुलासा, 86,951 बच्चे इस साल हुए “आउट ऑफ स्कूल”

आनन-फानन में फिर नामांकन कराया

सम्यक न्यूज़, पटना.

बिहार में कक्षा एक से आठ में जून से 15 जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुए एक विशेष सर्वेक्षण में 86,951 बच्चे “आउट ऑफ स्कूल” मिले हैं. यह आंकड़ा हैरत में डालना वाला है क्योंकि इसी साल अप्रैल और मई में जिलों ने रिपोर्ट दी थी कि उनके पोषण क्षेत्र में अब कोई “आउट ऑफ स्कूल” बच्चा नहीं है. हालांकि, शिक्षा विभाग का दावा है कि अब इन बच्चों को संबंधित प्राथमिक और मध्य स्कूलों में नामांकित करा दिया गया है. अधिकारियों का कहना है कि “आउट ऑफ स्कूल बच्चों” की रिपोर्ट मामले में शपथ पत्र सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया है. यह रिपोर्ट कोविड के विभिन्न पहलुओं के संदर्भ में मांगी गयी थी.

शिक्षा विभाग ने इस तरह के आंकड़े हाल ही में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के जरिये सुप्रीम कोर्ट को भेजे हैं. कक्षा एक में 39,229 “आउट ऑफ स्कूल” बच्चों की पहचान की गयी. आंकड़े इस बात का गवाह हैं कि अप्रैल-मई में हुए नामांकन सत्र के दौरान इतने सारे बच्चों के पंजीयन स्कूलों में नहीं हो सके थे. अचरज की बात ये भी है कि जो बच्चे सरकारी स्कूलों ने इसी साल पास हुए  है, उनमें से भी कई बच्चे नाामंकन से छूट गये थे. दरअसल “आउट ऑफ स्कूल” पाये गये अधिकतर बच्चे संबंधित पोषण क्षेत्रों के टोले के ही बताये जा रहे हैं. कक्षा दो में 12029, कक्षा तीन में 7100, कक्षा चार में 5144, कक्षा पांच में 4760, कक्षा छह में 12360, कक्षा सात में 3637 और कक्षा आठ में ‘आउट ऑफ स्कूल’ बच्चों की संख्या 2692 पायी गयी है.

विभाग ने सितंबर से दिसंबर 2021 तक पूरे प्रदेश में सामान्य तौर पर कराये सर्वेक्षण में 1.34 लाख बच्चे ऑफ स्कूल थे. तब जानकारों ने माना था कि कोविड की वजह से बच्चों की “आउट ऑफ स्कूल” बच्चों की संख्या बढ़ी होगी. कोविड से पहले ऐसे बच्चों की संख्या एक लाख से भी कम थी.

दस जिलों के “आउट ऑफ स्कूल”  बच्चों की संख्या (कक्षा एक से आठ तक)

सीतामढ़ी- 8542, गोपालगंज- 8452, सीवान- 8317, मुजफ्फरपुर- 5815, गया- 4638, सारण- 4502, अररिया- 3765, मुंगेर- 3481, मधेपुरा- 3466, नालंदा- 3218, सबसे कम बांका में 28, सहरसा में 119, सुपौल में 150, कटिहार में 275, अरवल में 319 और पटना में केवल 344 आउट ऑफ स्कूल बच्चे पहचाने गये हैं.

शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने “आउट ऑफ स्कूल” बच्चों की संख्या को शून्य पर लाने के लिए रणनीति बनायी है. शत-प्रतिशत बच्चों को हर हाल में नामांकित कर पढाई का बेहतर अवसर देंगे. सप्ताह में तीन दिन से अधिक समय तक स्कूल न आने वाले बच्चों को घर से बुलवाने के निर्देश दिये हैं. स्कूलों से कहा गया है कि कक्षा आठ के बाद बच्चे ने कहां एडमिशन लिया, ट्रेस करें.

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Author: undekhilive

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