मध्य प्रदेश में नर्मदा किनारे एक ऐसा गांव, जहां पीढ़ियों से घर-घर बनते हैं शिवलिंग

एजेंसी। इंदौर से 103 किमी दूर नर्मदा किनारे खरगौन जिले में बसा है गांव बकाव। एक ऐसा गांव जहां बनते हैं नर्मदेश्वर शिवलिंग। देश का ऐसा कोई बड़ा शहर नहीं जो अपने यहां मंदिर में स्थापित कराने के लिए शिवलिंग लेकर यहां से नहीं गया। तीन हजार की आबादी वाले इस गांव में पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोग मां नर्मदा के पत्थर निकालकर शिवलिंग बनाते आ रहे हैं। एक इंच से लेकर 23 फीट तक के शिवलिंग का निर्माण यहां होता है।

एक दुकान संचालक ताराचंद कर्मा कहते हैं कि आठ-दस साल पहले तक हम बोरे भर-भर कर आपूर्ति करते थे। अब रोजाना 20-25 वाहन अलग-अलग प्रदेशों से शिवलिंग लेने आते हैं। समय बदलने के साथ अब ऑनलाइन ऑर्डर से भी डिलीवरी हो रही है। तीन पीढ़ियों से शिवलिंग का निर्माण कर रहे दीपक नामदेव बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में महाशिवरात्रि और श्रावण में बिक्री पांच गुना तक बढ़ गई है।

शिव पुराण में वर्णन है कि मां नर्मदा से निकलने वाले नर्मदा शिवलिंग को प्राण-प्रतिष्ठा की जरूरत नहीं होती। एक दुकान के संचालक शोभाराम केवट कहते हैं कि 24 फीट ऊंचा 66 टन वजनी शिवलिंग इसी गांव से हैदराबाद भेजा गया है। इंदौर में 15 फीट ऊंचा शिवलिंग भी यहीं से गया है। पूर्व पीएम अटलबिहारी वाजपेयी से लेकर कई बड़े नेताओं को शिवलिंग यहां से दिए गए हैं।

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Author: undekhilive

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