पटना। आशा संयुक्त संघर्ष मंच के आह्वान पर 9 सूत्री मांगों को लेकर 24 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल चल रही है। ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं ठप्प है, लेकिन सरकार और स्वास्थ्य विभाग संवेदनहीन बनी हुई है। आशाओं के कार्यों को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सराहा है और पटना उच्च न्यायालय ने भी तारीफ की है। बावजूद, स्वास्थ्य विभाग ने दो राउंड की वार्ता में मासिक मानदेय और न्यूनतम रिटायरमेंट बेनिफिट देने से मना कर दिया है जबकि कई राज्यों में सम्मानजनक मासिक मानदेय के साथ 4 लाख का रिटायरमेंट पैकेज और पेंशन मिलता है।
महागठबंधन के घोषणापत्र में उपर्युक्त मांगें शामिल थीं और उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री ने पारितोषिक की जगह मासिक मानदेय करने और सम्मानजनक राशि देने की घोषणा भी की थी। आशा-आशा फ़ैसिलिटेटर की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और हड़ताल को समाप्त कराने की जगह स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन दमन अभियान चला रहे हैं। आशाओं को किस राज्य में क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं, इसे हमने भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग से विधिवत प्राप्त करके हड़ताल पूर्व अपनी मांगों को सरकार को दे रखा है।
गर्दनीबाग में होगा महाजुटान
भूखे पेट अब और काम नहीं होगा, पारितोषिक नहीं 10 हजार रुपए मासिक मानदेय देना होगा, रिटायरमेंट के बाद हम खाली हाथ घर नहीं लौटेंगे नारों के साथ दसियो हजार आशाएं-आशा फैसिलिटेटर 3 अगस्त को पटना पहुंच रही हैं। गर्दनीबाग के महाजुटान से हजारों महिलाएं अपनी मांगों को लेकर बिहार की जनता और सरकार से फरियाद करेंगी।
आंदोलन की नेत्री, महासंघ गोप गुट / ऐक्टू से संबंध बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि तमाम तरह के दमन को झेलते हुए आशा शांतिपूर्ण तरीके से हड़ताल पर हैं। परिवार के साथ कई दिनों तक सत्याग्रह पर रही हैं। भीषण गर्मी और उमस में दर्जनों आशाएं बीमार पड़ी हैं, लेकिन सरकार का रुख दमनात्मक है। उन्होंने कहा कि मांगें पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी। 48 महीने के पिछला बकाया में एक महीना की राशि 40 करोड़ देने की बात कहकर वे हड़ताल की मुख्य मांगें को दरकिनार करना चाहते हैं। आशाएं सजग- हैं.गुमराह करने का खेल नहीं चलेगा।
हड़ताल के नेता सह चिकित्सा जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ, सीटू के राज्य नेता विश्वनाथ सिंह ने कहा कि आशाओं की मेहनत से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक सुधार हुआ है लेकिन बिहार सरकार अन्य राज्यों में मिल रही सुविधाओं को देने से भाग रही है। हमारी मांग है कि केरल, कर्नाटक, आंध्र, एमपी, ओडिशा, राजस्थान आदि किसी राज्य को चुन लीजिए और उस तरह की सुविधा प्रदान की जाए।
महासंघ गोप गुट के सम्मानित अध्यक्ष रामबली प्रसाद ने कहा कि सरकार का महिला श्रम और आशाओं के कठिन कठोर कामों के प्रति नजरिया असंवेदनशील है।