पर्युषण पर्व का तीसरा दिन
अनदेखी लाइव, पटना.
दस दिवसीय जैन पर्युषण पर्व के तीसरे दिन आर्जव धर्म की पूजा की गयी. आर्जव धर्म व्यक्ति के चरित्र एवं व्यवहार को निष्कपट बनाता है। आज पटना के मीठापुर, कदमकुआँ, मुरादपुर, कमलदह मंदिर गुलजार बाग सहित सभी दिगम्बर जैन मंदिरों में आर्जव धर्म की पूजा की गयी. सभी दिगम्बर जैन मंदिरों में सुबह से ही पूजा करने हेतु श्रद्धालु मंदिरों में पहुँचने लगे थे. मंदिरों में श्रद्धालुओं ने भगवान् का अभिषेक किया एवं शांतिधारा के बाद आर्जव धर्म की पूजा की गयी.
जैन समाज के एम पी जैन ने बताया कि ‘उत्तम आर्जव कपट मिटावे, दुर्गति त्यागि सुगति उपजावें।’ – अर्थात् उत्तम आर्जव धर्म अपनाने से मन एकदम निष्कपट तथा राग-द्वेष से रहित हो जाता है। मन का सहज, सरल, निष्कपट एवं राग-द्वेष से रहित होना ही अध्यात्म पथगामी होना है. सरल हृदय व्यक्तियों के घर में लक्ष्मी का भी स्थायी वास रहता है। आत्मा का सहज स्वभाव ही उसका धर्म होता है। गोस्वामी तुलसीदास विरचित श्री रामचरितमानस में भी भगवान ने कहा है “ निर्मल मन जन सो मोहि पावा मोहो कपट, छल, छिद्र न भावा.” जैन पर्युषण पर्व में आत्मा के दस स्वभाव पर कैसे विजय पाया जाए इसे ही बताया जाता है। मनुष्य का सरल एवं सीधा स्वभाव ही आर्जव धर्म है. सरल व्यक्ति के भीतर किसी तरह का छल-कपट नहीं होता है. आर्जव धर्म अपने भीतर मौजूद छल कपट पर विजय प्राप्त करने की कला को समझने एवं सीखने का दिन होता है। जिस व्यक्ति के ह्रदय में छल कपट , कुटिलता होती है उसका जीवन बनावटी हो जाता है। वह जो बोलता है उसके ठीक विपरीत आचरण करता है। मानव धर्म ऐसा होना चाहिय की जो वह जो बोले वही करे। मुंह में राम बगल में छुरी नहीं होनी चाहिए। इससे वयक्ति का एक दूसरे पर भरोसा बढ़ता है। छल – कपट के कारण परस्पर के मैत्री सम्बन्ध नष्ट हो रहे हैं। दूसरे को धोखा देने की , ठगने की , ऊपर से मित्र बनकर अंदर से घात करने की प्रवृत्ति के कारण हीं मनुष्य का एक दूसरे पर विश्वास कम हो रहा है। जैन दर्शन इसे नहीं मानता है क्योकि इच्छाओं का कोई अंत नहीं है। जैन धर्म का मानना है की मनुष्य अपने मन से छल-कपट बेईमानी को आर्जव धर्म के द्वारा हटा दे। ऐसा करने से हमारा जीवन सरल बन सकेगा ,हम तनाव से मुक्त होंगे तथा परस्पर एक दूसरे पर विश्वास करने लगेंगे।
श्री जैन ने कहा कि पर्युषण पर्व के चौथे दिन शनिवार को दिगम्बर जैन मंदिरों में उत्तम शौच धर्म की पूजा की जायेगी.
अहंकार पर विजय प्राप्त करने की कला है मार्दव धर्म