रिसर्च सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ़ डायबिटीज इन इन्डिया, बिहार चैप्टर (आर.एस.एस.डी.आई.) द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के समापन दिवस पर डॉ अजय कुमार सिन्हा, चेयरमैन साइंटिफिक कमिटी ने बताया कि सेमिनार के आज दूसरे दिन भी मधुमेह विशेषज्ञों ने अपनी अपनी बातों को कार्यशाला में बताया. सर्वप्रथम पटना के डॉ संजीव कुमार ने बत्ताया कि मधुमेह की रोकथाम मे ग्लाईसेमिक इंडेक्स का बहुत बड़ा रोल है. अगर मरीज खाने में ग्लाईसेमिक इनेक्स की मात्रा के हिसाब से खाना खाए तो कुछ हद तक मधुमेह को रोका जा सकता है.
पटना के ही डॉ शैवाल गुप्ता न बताया कि डायबिटीज शरीर को दीमक की भांति नुकसान पहुंचाता है. इसलिए सभी को यह ध्यान देना चाहिए कि इसकी अर्ली डिटेक्शन के जरिये इसके खतरनाक पहलुओं से बचा जा सकता है,
डॉ शैवाल ने बताया कि डायबिटीज को प्रभावित करने वाला पहला बड़ा कारक भोजन यानि डाइट है. इसलिए डाइट कंट्रोल करना जरूरी है. दूसरी महत्वपूर्ण यात ध्यान देने में नियमित व्यायाम है. इसके माध्यम से ही व्यक्ति खुद को फिट रख सकता है. इन दोनों पहलुओं के बाद ही दवा का रोल होता है, यदि बेहतर खान-पान और नियमित व्यायाम पर ध्यान देने के बाद ही डायबिटीज कंट्रोल के लिए दवा की जरूरत पड़ती है.. डॉ शैवाल ने बताया कि डायबिटीज कंट्रोल के बिना अन्य बीमारियों से भी छुटकारा पाना संभव नहीं है. डायबिटीज से हार्ट की पंपिंग कैपेसिटी घट जाती हैं. पेशेंट बेचैनी महसूस करते हैं, इसी प्रकार अनकंट्रोल डायबिटीज के मामले में किडनी खराब होने की संभावना प्रबल हो जाती है. ऐसे मामलों को नेफ्रोपैथी कहा जाता है. इसके अलावा, डायबिटीज आंखों की रौशनी का भी दुश्मन हो जाता है. इन्ही कारणों से डायबिटीज को बेहद नुकसानदेह बताया गया है.
कार्यशाला में दरभंगा के डॉ मनीष कुमार प्रसाद, गुवाहाटी के मिथुन भरतीया, पूर्णिया के डॉ आर के मोदी ने भी अपने विचार बताये. पटना के डॉ अदनान इमाम ने बताया कि मधुमेह में आपके खाने में फाइबर का जो मात्रा होना चाहिए वह बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल रखता है. खाने पीने में अगर आपका फाइबर कंटेंट मतलब आपका फाइबर जो आप खाने में ले रहे हैं वह ठीक मात्रा में है तो यह आपके मधुमेह को भी कंट्रोल करने में सहायता कर सकता है. इसलिए अपने खाने में हमेशा सलाद हरी सब्जियां एवं दाल यह सब चीजों का सेवन जरूर करें और वैसे पदार्थ जिसमें कार्बोहाइड्रेट ज्यादा है जैसे चावल इत्यादि उन सब चीजों का सेवन कम करेंगे इससे मधुमेह कंट्रोल करने में मदद मिलेगी.
इनके अतिरिक्त कार्यशाला में लखनऊ के अजय कुमार तिवारी एवं अनुज महेश्वरी, कोलकाता के सुप्रतीक भट्टाचार्य, कटक के जयंत पांडा, पटना के डॉ अजय कुमार, पुर्णिया के आर के मोदी, पटना के नीरज सिन्हा ने भी मधुमेह को नियंत्रित करने के सम्बन्ध में अपने अपने विचार रखे.
सेमिनार के समापन पर डॉ अतुल कुमार ने कहा कि आज आर.एस.एस.डी.आई. का समापन समारोह अभी खत्म हुआ और प्रेस मीडिया को बताया गया कि यह एक बहुत बड़ा दो दिनों का सेमिनार था जिसमें भारत के हर एक प्रदेश से लोग आकर अपना रिसर्च पेपर प्रेजेंट किए और ज्ञान का आदान प्रदान किया. जिससे समाज में एक नई तरह की मैसेज जाएगी और इस सेमिनार में आये हर डॉक्टर बहुत सारे चीज सीख कर गए. यहां पर वर्कशॉप हुआ उसके लिए अलग से और काफी पीजी स्टूडेंट्स प्रेसिडेंट्स काफी चीज सीख गए जो आगे आने के समय में समाज को बहुत हेल्प करेगा।
कार्यक्रम की समाप्ति पर आर.एस.एस.डी.आई. के सचिव डॉ सुभाष कुमार ने सबों को धन्यवाद् ज्ञापन किया.