ब्रह्मचर्य व्रत अनंत गुण भर देता है-गणिनी प्रमुख ज्ञानमती माताजी

पर्युषण पर्व के दसवें और अंतिम दिन ब्रह्मचर्य व्रत की पूजा

अनदेखी लाइव, पटना.

जैन धर्म के महत्वपूर्ण पर्युषण पर्व के दसवें और अंतिम दिन आज ब्रह्मचर्य व्रत की पूजा की गयी. भारतगौरव चारित्रचंद्रिका गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि ब्रह्मचर्य व्रत गुण अनंत भर देता है। यह तीनों लोको में पूज्य है। ब्रह्मचारी व्यक्ति की तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है। किसी भी व्रत को करने के लिए सर्वप्रथम ब्रह्मचर्य व्रत धारण करना आवश्यक होता है। पर्वों के दिनों में हम संकल्प लेते हैं कि सम्पूर्ण पर्व भर हम ब्रह्मचर्य व्रत को धारण करेगें एवं सम्पूर्ण मैथुन का त्याग करेंगे। कितने भी जीरो लिख लें लेकिन बिना संख्या के लिखे वह जीरो शून्य के समान है। उसी प्रकार से ब्रह्मचर्य व्रत संख्या के समान है जो अनंत गुण व्यक्ति में विद्यमान कर देता है। ब्रह्मचारी व्यक्ति को अनेक रिद्धि सिद्धियॉं प्रगट हो जाती हैं। ब्रह्मचारी व्यक्ति से कुशक्तियॉं, बुराईयॉं पास आने में भय खाती हैं। ब्रह्मचर्य व्रत तीनों लोको में सर्वथा पूज्य है। ब्रह्मचर्य व्रत हीरे के समान है। ब्रह्मचारी व्यक्ति कोई कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता है। त्रैलोक्य मंडल विधान के अंतर्गत सिद्धशिला पर विराजमान सिद्धों की पूजा की गई। श्रद्धालु श्री एम पी जैन ने बताया कि आज प्रातःकाल अनंत चौदश के उपलक्ष्य में 1008 कलशों से भगवान का अभिषेक सम्पन्न किया गया। भगवान वासुपूज्यनाथ के निर्वाण कल्याणक के अवसर पर निर्वाणलाडू चढ़ाने का सौभाग्य श्रीमती अंजू विकास जैन-गाजियाबाद, ब्र. चंदनबाला जैन-दिल्ली, श्रीमती ज्योति पोपटलाल अलका विनोद दोशी-पूणे को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर रथयात्रा सम्पन्न की गई जिसमें सौधर्मइंद्र सौ. सपना जितेन्द्र लुहाड़िया-खंडवा भगवान को लेकर रथ में विराजमान हुए एवं सारथी के रूप में सौ. रश्मि अजित बज-वाशिम, कुबेर-सौ. माधुरी विजय पापड़ीवाल-औरंगाबाद, चवर ढुराने का सौभाग्य सौ. सरिका प्रवीण बिलाला-अकोला श्री कैलाश शोभा पहाड़े-नासिक एवं आरती श्री कैलाशचंद आदीश कुमार जैन-लखनऊ को प्राप्त हुआ। सम्पूर्ण विधि विधान प्रतिष्ठाचार्य श्री विजय कुमार जैन, हस्तिनापुर एवं पं. सत्येन्द्र कुमार जैन, तिवरी म.प्र. के द्वारा सम्पन्न कराया गया.

मध्यान्ह में प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी के द्वारा तत्त्वार्थसूत्र के दशवें अध्याय के ऊपर प्रवचन एवं उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की व्याख्या की गई। संघस्थ ब्रह्मचारिणी बहनों के द्वारा सरस्वती पूजन एवं गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की पूजन सम्पन्न की गई। शरदपूर्णिमा रिद्धि सिद्धि महोत्सव के अंतर्गत रिद्धि मंत्र का जाप्य करवाया गया। सम्पूर्ण कार्यक्रम संस्थान के यशस्वी अध्यक्ष पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी के कुशल निर्देशन में सम्पन्न हुआ. सांयकालीन सभा में तीर्थंकर भगवन्तों की, जम्बूद्वीप रचना एवं त्रैलोक्य महामंडल विधान एवं पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की आरती की गई। देश के विभिन्न आंचलों से पधारे श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक सभी कार्यक्रमों में सहभागिता प्रदान की। सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत जैन धार्मिक तंबोला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसका संयोजन श्री सुनील जैन सर्राफ, श्री मनोज जैन, श्री राकेश जैन-मेरठ ने किया।

ब्रह्मचर्य धर्म के पालन से शरीर सुढृढ़ एवं ज्ञान में वृद्धि

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Author: undekhilive

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