BPSC उम्मीदवारों के जुलूस पर पुलिस का लाठीचार्ज, पैटर्न बदलने का विरोध
अपने निकम्मेपन एवं अक्षमताओं को छिपा रही है सरकार
श्यामनंदन कुमार, पटना.
67 वीं BPSC की प्रारंभिक परीक्षा के उम्मीदवारों पर आज बेली रोड पर पुलिस ने जमकर लाठियां चटकाई. बारिश में भींगते अभ्यर्थियों ने इधर-उधर भागकर जान बचाई. ये सभी प्रारंभिक परीक्षा के पैटर्न और मार्किंग में बदलाव से आक्रोशित थे. आयोग ने पेपर लीक हो जाने के चलते गत 8 मई की परीक्षा रद्द कर दी थी. केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानन्द राय ने BPSC उम्मीदवारों पर लाठी चार्ज की कड़ी निंदा करते हुए ट्विटर पर लिखा- “बोलकर आये थे देंगे रोज़ , वही रोज़ दे रहे हैं.” उम्मीदवार हाथों में तख्तियां लिए कह रहे थे- देख रहा है न विनोद.
पिछले विधान सभा चुनाव में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजनीतिक षडयंत्रों से जनता को आगाह करते हुए एक नारा दिया था- “खेला होबे”. पब्लिक को ये नारा जंच गया और ममता बनर्जी तीसरी बार वहां की मुख्यमंत्री बन गयीं. आज के राजनीतिक और शैक्षणिक परिवेश में भी ये नारा एकदम फिट बैठ रहा है. पहले महाराष्ट्र में “खेला” हो गया. सरकार बदल गयी. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे एकनाथ-फड़नवीस की गीता समझ नहीं पाए और हाथ मलते रह गए. इसके बाद बिहार में “खेला” हो गया. NDA के बदले “महागठबंधन” की सरकार बन गयी. इन दोनों में एक फर्क ये रहा कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री भी चले गए, लेकिन बिहार के “खेला” में मुख्यमंत्री तो वही रहे, मगर बीजेपी के दोनों उप मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी गँवा बैठ. इधर झारखण्ड में भी अलग “खेला” चल रहा है. मुख्यमंत्री अपने समर्थक विधायकों को लेकर इधर-उधर भाग रहे हैं. बिहार में महागठबंधन की सरकार “पहली कैबिनेट में पहली कलम से दस, नहीं नहीं बीस लाख सरकारी नौकरी” के झूठे वायदे कर “खेला” कर गयी. गद्दी तो हथिया ली, मगर सरकारी नौकरी की तरफ ललचाई नज़रों से ताक रहे उम्मीदवारों के बुरे दिन आ गए हैं. अब उन्हें सड़कों पर पुलिस और ADM की लाठियां खानी पड़ रही हैं. पिछले सोमवार को डाकबंगला चौराहे पर हाथ में तिरंगा लिए एक शिक्षक अभ्यर्थी दरभंगा निवासी कामरान अंसारी को ADM के.के. सिंह ने बर्बर तरीके से लाठियों से इतना पीटा कि देखनेवालों के रोंगटे खड़े हो गए. उसके अब्बा बेटे की हालत देखकर कांप गए हैं. नौकरी मांगने की इतनी बड़ी सजा. कमाल की बात ये है कि पिछले सोमवार को घटित कांड की जाँच रिपोर्ट बुधवार तक देनी थी, मगर जाँच टीम के लिए बुधवार आ ही नहीं रहा है. जाहिर है, मामले की लीपापोती की जा रही है. उधर झारखण्ड के दुमका जिले में एक सरकारी स्कूल के बच्चों ने स्कूल के शिक्षक, क्लर्क और चपरासी को पेड़ से बांध कर पीता और उसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया. ये बच्चे प्रैक्टिकल में जान-बूझकर काम अंक दिए जाने से गुस्साए थे.
बिहार में BPSC अलग “खेला” कर रहा है. दरअसल 67 वीं BPSC की प्रारंभिक परीक्षा का पेपर गया के प्राइवेट कॉलेज रामशरण सिंह इवनिंग कॉलेज (मगध विश्वविद्यालय से मान्यता रद्द) और आरा के प्राइवेट कॉलेज वीर कुंवर सिंह कॉलेज (वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से मान्यता रद्द) से ही लीक करने और चहेते उम्मीदवारों के लिए परीक्षा केंद्र बनाने का “खेला” हुआ था. अब आयोग अपनी “साख” और “नाक” बचाने की हरसम्भव कोशिश कर रहा है मगर कमबख्त ये “नाक” चीनी-मंगोलियाई मूल के लोगों की तरह चिपटती ही जा रही है. फज़ीहत और बदनामी की कालिख को आयोग जितना धोने की कोशिश कर रहा है, बदहवासी में वह और गहरा होता जा रहा है. आयोग के नए अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने लगभग छह लाख उम्मीदवारों की परीक्षा एक दिन में सम्पन्न कराने की असमर्थता दिखाते हुए 20 एवं 22 सितम्बर को दो पालियों में कराने की तैयारी की है. साथ ही उन्होंने मार्किंग में परसेंटाइल सिस्टम लागू करने की भी बात कही. आयोग के इस मनमाने निर्णय से आक्रोशित हजारों उम्मीदवारों ने इसका कड़ा विरोध शुरू कर दिया. पहले तो उन्होंने SOCIAL MEDIA पर अभियान चलाया. इसके बाद आज उन्होंने पटना कॉलेज से कारगिल चौक तक विरोध मार्च किया. प्रदर्शनकारी BPSC की नयी परीक्षा और मार्किंग प्रणाली के खिलाफ नारेबाजी भी कर रहे थे. इनमें से एक समूह आगे बढ़ते हुए BPSC OFFICE पहुंचना चाहता था. इनकम टैक्स गोलंबर से आगे और आयोग के कार्यालय के बीच में ही पुलिस ने इन्हें रोका. आयोग की कार्य प्रणाली से सशंकित और आक्रोशित एक झुण्ड किसी तरह आगे बढ़ने लगा तो पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया. बारिश भी होने लगी थी. बारिश में भींगते किसी तरह भागकर प्रदर्शनकारियों ने अपनी जान बचाई. उन्होंने एक स्वर से सरकार के निकम्मेपन और अक्षमताओं को जमकर कोसा. लाठीचार्ज से आक्रोशित उम्मीददवार आगे की रणनीति बनाने में जुट गए हैं.
दरअसल अगले महीने पितृपक्ष भी शुरू हो रहा है. इसके अलावा 25 सितम्बर से नवरात्र प्रारंभ हो जायेगा. उत्तर बिहार में बाढ़ से आवागमन की परेशानी होगी. सितम्बर में संघ लोक सेवा आयोग की होने वाली लिखित परीक्षा, पर्व-त्यौहार, कानून-व्यवस्था और लाखों अभ्यर्थी – इनका सर्वमान्य हल निकालने और परीक्षा बिना किसी फजीहत के सम्पन्न कराने में आयोग के हाथ-पॉव फूल रहे हैं. इसके अलावा पेपर लीक के कलंक को भी धोना है. अक्टूबर में 68वीं परीक्षा की भी अधिसूचना जारी होने की संभावना है. इधर शिक्षा-परीक्षा और नौकरी माफिया भी पूरी तरह तैयार हैं. जिन उम्मीदवारों को झांसे में लेकर उन्होंने करोड़ों रुपयों की वसूली की है- उन्हें भी तो “सेट” करना है.
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