“ना मैं किसी का, ना कोई मेरा, धर्म आकिंचन नाम इसी का“ – श्री ज्ञानमती माताजी

दुःख का मूल कारण परिग्रह है

अनदेखी लाइव, पटना.

जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर तीर्थ पर चल रहे दशलक्षण महापर्व के अंतर्गत आज उत्तम आकिंचन धर्म का दिवस है। भारतगौरव चारित्रचंद्रिका गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने उत्तम आकिंचन धर्म की व्याख्या करते हुए बताया कि परिग्रह का पूर्णरूपेण त्याग दिगम्बर मुनि करते हैं। एक देशरूप श्रावक करते हैं। मूलरूप से उत्तम आकिंचन धर्म कहता है कि “ना मैं किसी का, ना कोई मेरा, धर्म आकिंचन नाम इसी का।“ दुःख का मूल कारण परिग्रह है। शास्त्रों में कहा है कि “फ़ांस तनक सी तन में सालै, चाह लंगोटी की दुःख भालै।“ अर्थात् किसी भी वस्तु की चाह मनुष्य के मन को चिंतित कर देती है। मन का चिंतन बार-बार वहीं पर पहुँच जाता है  जो वस्तु उसे प्राप्त करना है। जितना ज्यादा परिग्रह होगा व्यक्ति उतना दुःखी रहेगा। उसको रखने का, छुपाने का जतन करेगा कि कहीं चोर, लुटेरे धन को ले ना जायें। अर्थात् आचार्यों ने कहा है कि घटती जान घटाईये। परिग्रह का प्रमाण कीजिए, आवश्यकता से अधिक रखकर बाकी का त्याग करिये। त्रैलोक्य विधान मंडल के अंतर्गत आज व्यंतरदेव एवं ज्योतिसवासी देवों के भवनों में विराजमान चैत्यालयों के अर्घ्यमंडल पर समर्पित किये गये।

संस्थान के मंत्री श्री विजय कुमार जी ने बताया कि आज प्रातःकाल शांतिधारा करने का सौभाग्य श्री नाजू विजय कासलीवाल-औरंगाबाद, श्री प्रमोद इंदू जैन-इटावा,  श्रीमती लक्ष्मीदेवी जमनालाल हपावत-मुम्बई, श्री रमेश अंजना चित्तौड़ा-उदयपुर, श्री शांतिलाल बसंती देवड़ा-उदयपुर, श्री बसंतीदेवी प्रेमदेवी अरूण गुलाब जैन-उदयपुर ने प्राप्त किया। तत्पश्चात् नित्यनियम पूजा सम्पन्न की गई एवं जम्बूद्वीप में विराजमान सप्तऋषि मुनियों की प्रतिमाओं का आहार करवाया गया। सम्पूर्ण विधि-विधान प्रतिष्ठाचार्य श्री विजय कुमार जैन, हस्तिनापुर एवं पं. सत्येन्द्र कुमार जैन, तिवरी म.प्र. के द्वारा सम्पन्न कराया जा रहा है।

मध्यान्ह में प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी के द्वारा तत्त्वार्थसूत्र की नवमी अध्याय के ऊपर प्रवचन एवं उत्तम आकिंचन धर्म की व्याख्या की गई। संघस्थ ब्रह्मचारिणी बहनों के द्वारा सरस्वती पूजन एवं गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की पूजन सम्पन्न की गई। शरदपूर्णिमा रिद्धि सिद्धि महोत्सव के अंतर्गत रिद्धि मंत्र का जाप्य करवाया गया। सम्पूर्ण कार्यक्रम संस्थान के यशस्वी अध्यक्ष पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी के कुशल निर्देशन में सम्पन्न हो रहे हैं।

सांयकालीन सभा में तीर्थंकर भगवन्तों की  जम्बूद्वीप रचना एवं त्रैलोक्य महामंडल विधान एवं पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की आरती की गई। देश के विभिन्न आंचलों से पधारे श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक सभी कार्यक्रमों में सहभागिता प्रदान की। सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत आज बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

त्याग से मनुष्य महान बनता है – गणिनी प्रमुख ज्ञानमती माताजी    

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Author: undekhilive

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