बच्चें अबाल, वृद्ध सभी शिकार हो रहे, बीमारी उम्र या लिंग में फर्क नहीं करती
अनदेखी लाइव, पटना.
मधुमेह से सम्बंधित शोध एवं चिकित्सा को राज्य के छोटे-छोटे गांव तक पहुंचाया जाना चाहिए जिससे मधुमेह के विकराल होते रूप को काबू में किया जा सके. इस बीमारी की जानकारी एवं उससे बचने के उपाय व्यापक रूप से प्रसारित किये जाने चाहिए जिससे आने वाले जेनरेशन को इस महामारी से बचाया जा सके। हैदराबाद से आये प्रसिद्ध मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. वसंत कुमार ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में ये बातें कहीं. वे आज यहाँ “मधुमेह जागरूकता एवं बचाव पर किये जाने वाले अनुसंधान” के संबंध में एक कांफ्रेंस में पधारे हैं. इसका आयोजन Research Society for The Study of Diabetes in India (आर.एस.एस.डी.आई) के बिहार चैप्टर द्वारा किया गया है.
इस कॉन्फ्रेंस के पहले दिन करीब 40 विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अपनी-अपनी जानकारी इसमें भाग लेने वाले चिकित्सकों से साझा की. सर्वप्रथम कोलकाता से आये डॉ. देबमाल्य सान्याल ने टाइप टू डायबिटीज के इलाज में Metformin एवं Vildageliptin दवा के उपयोग पर विस्तृत जानकारी दी. इसके बाद समस्तीपुर से आये डॉ. सुप्रियो मुखर्जी, गुवाहाटी से आये डॉ. बिकास भट्टाचार्य, कोलकाता से आये डॉ. विजय पाटनी, भागलपुर से आये डॉ. हेमशंकर शर्मा, दुर्ग से आये डॉ. प्रभात पाण्डेय ने मधुमेह पर हो रहे नवीनतम शोध एवं दवाओं पर जानकारी साझा की. इस कॉन्फ्रेंस में बिहार एवं अन्य प्रदेशों से लगभग तीन सौ (300) मधुमेह विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं.
सेंट जॉन्स मेडिकल कॉलेज बेंगलुरु के चिकित्सक डॉक्टर डेनिस जेवियर ने सुझाव दिया कि चिकित्सकों को अपने मरीजों के इलाज के दौरान उनके महत्वपूर्ण स्वास्थ्य की जानकारी को सुरक्षित रखना चाहिए. इसे एक रिसर्च में परिवर्तित किया जा सकता है जिससे हमारे समाज के मधुमेह से पीड़ित लोगों की चिकित्सा में बहुत ही सुधार लाया जा सकता है. उन्होंने रिसर्च को क्लिनिकल प्रैक्टिस में लाने एवं उसे विश्वस्तरीय जर्नल में पब्लिश करने के संबंध में मेडिकल कॉलेज के छात्रों को एवं चिकित्सकों को उत्साहित किया। गुवाहाटी से आए सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ विकास भट्टाचार्य ने डायबिटीज से होने वाले विभिन्न प्रकार की बीमारियों एवं उनसे बचने के उपायों पर विस्तार से चर्चा की। वडोदरा से आए डॉक्टर आकाश कुमार सिंह ने डायबिटीज से होने वाले बीमारियों के ऐसे प्रकार के बारे में चर्चा की जो काफी विशेष प्रकार के हैं।
इस कॉन्फ्रेंस में मधुमेह चिकित्सा में आधुनिकतम रिसर्च एवं मेडिसिन पर विस्तार से चर्चा हुई। डायबिटीज से पीड़ित लोगों में उनके जीवनशैली में सुधार लाने एवं जीवन के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करने पर संस्था के Organizing secretary एवं पटना के मशहूर मधुमेह विशेषज्ञ डॉक्टर सुभाष कुमार ने एक कार्यशाला का आयोजन किया। वाराणसी से आए विशेषज्ञ चिकित्सा डॉक्टर आशुतोष कुमार मिश्रा ने बताया पेट में होने वाली बैक्टीरिया की गड़बड़ी से विभिन्न प्रकार की बीमारी में डायबिटीज भी शामिल है लोगों को केमिकल रहित भोजन से बचने एवं पेट के अंदर रहने वाले नेचुरल बैक्टीरिया को बचाने के संबंध में बहु उपयोगी जानकारी दी। प्रयागराज से आई चिकित्सक डॉ अनुभा श्रीवास्तव ने बच्चों में होने वाली टाइप वन डायबिटीज के आधुनिक एवं सुरक्षित इलाज के बारे में चिकित्सकों को बताया.
सिलीगुड़ी से आए डॉ शंख सेन ने डायबिटीज से संबंधित इमरजेंसी चिकित्सा के बारे में विशेष जानकारी दी. लखनऊ से आए विशेषज्ञ चिकित्सक डॉक्टर नरसिंह वर्मा ने आधुनिक जीवन शैली से उत्पन्न होने वाली बीमारियों में डायबिटीज को प्रमुख बताया एवं उससे बचने के लिए प्रकृति की ओर जाने के लिए और अपने जीवन में प्राकृतिक नियमों के पालन के संबंध में आधुनिक रिसर्च के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की।
बेंगलुरु से आए चिकित्सक डॉ अरविंद जगदीश ने मधुमेह के इलाज में विभिन्न दवाओं के प्रभाव एवं उनकी उपयोगिता पर विशेष चर्चा की. इस चर्चा में मुजफ्फरपुर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर अमित कुमार दास ने भी भाग लिया।
एम्स पटना के चिकित्सक डॉक्टर देवेंद्र भूषण ने इंसुलिन लेने के संबंध में एक कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें विभिन्न हॉस्पिटल से आए डॉक्टरों, मेडिकल छात्र एवं नर्सों ने भाग लिया. कल इस जागरुकता सह वैज्ञानिक सत्र का समापन होगा.
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