बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पी के अग्रवाल ने माननीया केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण एवं माननीय श्री तारकिशोर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री सह वित्त (वाणिज्य – कर) मंत्री, बिहार से पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि बिना ब्रांड वाले खाने-पीने के सामानों को जीएसटी के दायरे में नही लाया जाए. अग्रवाल ने पत्र में लिखा कि समाचार पत्रों के माध्यम से यह ज्ञात हुआ है कि सरकार का बिना ब्रांड वाले खाने-पीने के सामानों को जीएसटी के दायरे में लाने का प्रस्ताव है और इस पर मंत्रियों के समूह की बैठक में आपसी सहमती भी बन चुकी है। तथा इसे अन्तिम रूप देने के लिए जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक जो दिनांक 28 और 29 जून 2022 को होनी है, के समक्ष रखा जाएगा।
अग्रवाल ने लिखा कि खाने-पीने का सामान एवं अनाज अत्यावश्यक वस्तुओं में आता है जिसकी आवश्यकता हरेक व्यक्तियों को होता है चाहे वह गरीब हो, अमीर हो या मध्यम तबके के लोग हो और यही कारण है कि पूर्व के कर प्रणाली, जब बिक्री कर या वैट था, उस समय भी इन वस्तुओं को कर मुक्त की श्रेणी में रखा गया था । अग्रवाल ने लिखा कि खाने-पीने की वस्तुओं पर टैक्स लगाने का सीधा आर्थिक भार देश के करीब 130 करोड़ लोगों पर पड़ेगा जो कि पहले से ही महंगाई के मार को झेल रहे है। आम आदमी की आमदनी कम हो रही है जबकि खर्चा दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है।
अग्रवाल ने अपने पत्र में यह भी लिखा कि जहां एक ओर प्रतिमाह जीएसटी राजस्व संग्रह के आँकड़े में वृद्धि हो रही है, ऐसी परिस्थिति में खाने-पीने के वस्तुओं पर जीएसटी लगाने का प्रस्ताव उपयुक्त प्रतीत नहीं होता है साथ ही सरकार की यह सोच “सब का साथ सब का विकास” के प्रतिकूल है। इन वस्तुओं को टैक्स के दायरे में लाने से दूर-दराज में जो छोटे-छोटे व्यवसायी लोगों की आवश्यकता के अनुरूप वस्तुओं की आपूर्ति करते हैं उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा तथा गाँवों-कस्बों में रहनेवाले निरक्षर लोगों और व्यवसायियों के बीच टैक्स को लेकर विवाद होना भी संभव है
अग्रवाल ने पत्र में आगे लिखा कि मंत्रियों के समूह ने अनेक वस्तुओं को जीएसटी में प्राप्त छूटों को समाप्त करने तथा अनेक वस्तुओं के कर की दरों में वृद्धि करने की जो सिफारिश की है वह एकतरफा है क्योंकि उन्होंने केवल राज्य सरकारों का पक्ष ही जाना है और व्यापारियों से इस मामले पर कोई चर्चा तक नहीं की गई है। जीएसटी काउंसिल का कोई भी एकतरफा निर्णय माननीय प्रधानमंत्री जी के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के उद्देश्यों के विरूद्ध होगा ।
अग्रवाल ने पत्र में अनुरोध किया है कि बिना ब्रांड वाले खाद्यान्न को कर से मुक्त रखा जाए और किसी भी परिस्थिति में इन वस्तुओं को 5% के कर दायरे में नहीं लाया जाए जिसकी सिफारिश जीएसटी पर गठित मंत्रियों के समूह द्वारा किया गया है। इन वस्तुओं को कर के दायरे में लाने से पूर्व व्यवसायियों से परामर्श कर आम सहमति बनाने के उपरान्त ही किसी प्रकार का निर्णय लिया जाना चाहिए ।