ज्ञानमंथन क्विज में धर्म-अध्यात्म से जुड़े सवालों से रूबरू हुई नई पीढ़ी, न्यू एरा पब्लिक स्कूल बना विजेता

पटना। जब मंच पर प्रश्न गूंजते हैं और उत्तरों में संस्कृति, इतिहास व आत्मचिंतन झलकता है, तब प्रतियोगिता मात्र प्रतिस्पर्धा नहीं रह जाती बल्कि वह संस्कार बन जाती है। प्रेमचंद रंगशाला में शनिवार को आयोजित इंटर स्कूल क्विज ‘ज्ञानमंथन’ कुछ ऐसे ही रंग में रंगा नजर आया। यहां पटना के 16 प्रतिष्ठित स्कूलों के लगभग 500 विद्यार्थियों ने भारतीय ज्ञान-परंपरा की समझ, त्वरित सोच और बौद्धिक परिपक्वता का प्रभावशाली प्रदर्शन किया।


वनबंधु परिषद और आध्यात्मिक सत्संग समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस प्रतियोगिता का उद्देश्य विद्यार्थियों को रामायण, महाभारत, भारतीय शास्त्रों, सांस्कृतिक धरोहर, महापुरुषों के जीवन और आध्यात्मिक मूल्यों से जोड़ना रहा। वनबंधु परिषद के अध्यक्ष गणेश खेतड़ीवाल ने बताया कि पटना में ‘ज्ञानमंथन’ का यह चौथा सीजन है और इसका लक्ष्य नई पीढ़ी में भारतीय संस्कृति के प्रति स्वाभिमान और बौद्धिक चेतना का विकास करना है।


आध्यात्मिक सत्संग समिति के अध्यक्ष रमेश चंद गुप्ता ने कहा कि आज के तकनीक प्रधान युग में ऐसे आयोजन बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़ने के सशक्त माध्यम हैं। प्रतियोगिता में पूछे गए प्रश्नों ने विद्यार्थियों की स्मरण शक्ति ही नहीं, बल्कि उनके मूल्यबोध और विवेक को भी परखा। क्विज मास्टर अनिल सर्राफ एवं सुनीता सर्राफ के कुशल संचालन में प्रतियोगिता रोचक और अनुशासित ढंग से आगे बढ़ी। प्रतियोगिता से पूर्व सभी विद्यालयों को लगभग दो हजार प्रश्न-उत्तर की विशेष पुस्तक उपलब्ध कराई गई थी, जिससे प्रतिभागियों की तैयारी और समझ और अधिक गहरी हो सकी।
प्रतियोगिता में न्यू एरा पब्लिक स्कूल ने प्रथम, पटना कॉन्वेंट ने द्वितीय तथा राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इसके अतिरिक्त प्रोत्साहन पुरस्कार और दर्शक दीर्घा से पूछे गए प्रश्नों ने पूरे सभागार को सहभागिता और उत्साह से भर दिया।


मीडिया प्रभारी एमपी जैन ने बताया कि कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षक, अभिभावक और गणमान्य नागरिकों ने इस पहल को विद्यार्थियों के बौद्धिक, नैतिक और सांस्कृतिक विकास की दिशा में एक सार्थक प्रयास बताया। लोगों ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी प्रतियोगिताएं बच्चों को केवल सफल नहीं, बल्कि संस्कारित नागरिक बनाती हैं। ‘ज्ञानमंथन’ ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब शिक्षा में संस्कृति का समावेश होता है, तब ज्ञान केवल अंक नहीं बनता वह चरित्र, चेतना और राष्ट्रबोध का आधार बनता है। कार्यक्रम को सफल बनाने में वनबंधु के सचिव राजीव अग्रवाल एवं कोषाध्यक्ष आलोक स्वरूप, रमेश अग्रवाल, गौरव अग्रवाल, लक्ष्मण टेकरीवाल, गोपाल झुनझुनवाला, अनिल गुप्ता सहित अन्य लगे हुए थे। वहीं कार्यक्रम में डॉ. राधेश्याम बंसल, महावीर अग्रवाल, सुनील अग्रवाल, सुजीत सिंघानिया,कमल नोपानी, पद्मश्री बिमल जैन, नन्द किशोर अग्रवाल, डॉ. गीता जैन, बिनोद बंसल, एडवोकेट श्वेता कुमारी, राजकुमार खेमका, पटना कान्वेंट के अरुण कुमार सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

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Author: undekhilive

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