पटना। गीत, संगीत और नृत्य का अद्भुत संगम…। प्रेमचंद रंगशाला का मंच शनिवार की शाम भारत की विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि का साक्षी बना। जब देशभक्ति गीतों पर थिरकते कदम और लहराते सुर एक साथ गूंजे तो दर्शक मानो भारत माता की आराधना में डूब गए। अवसर था वनबंधु परिषद पटना चैप्टर की ओर से आयोजित ‘एकल सुरताल-भारत के रंग, एकल के संग’ कार्यक्रम का। इसमें वनवासी विद्यालय के पूर्व छात्रों ने श्रीराम भक्ति और राष्ट्रभक्ति की झंकार से समूचे वातावरण को जीवंत कर दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि ललन शर्मा तथा विजय किशोरपुरिया, सुजीत सिंघानिया, आलोक स्वरूप, राजेश ओझा, राजू अग्रवाल, गणेश खेत्रीवाल, राज कुमार और रमेश गुप्ता ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके बाद कलाकारों ने ‘देवा श्री गणेशा’ पर मनोहारी गणेश वंदना प्रस्तुत कर मंगल ध्वनि की। इसके बाद देशभक्ति की लहरों से भरी प्रस्तुतियों की झड़ी लग गई। ‘ए वतन तेरे लिए…’, ‘है प्रीत जहां की रीत सदा…’, ‘देश रंगीला…’, ‘मेरा रंग दे बसंती चोला…’ जैसे गीतों पर हुई सधी हुई नृत्य प्रस्तुतियों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। फिर ‘जोगी जी धीरे-धीरे…’ की धुन पर झूमते कलाकारों ने माहौल को लोकसंगीत की मिठास से भर दिया।
देशभक्ति गीतों से लेकर होली के उल्लास और लोक संस्कृति की बहार तक हर प्रस्तुति ने मानो भारत की आत्मा को मूर्त रूप दिया। असम की पीहू, राजस्थान का घूमर, उत्तर भारत की तीज जैसे लोकनृत्यों ने ऐसा आभास कराया कि मानो संपूर्ण भारत की संस्कृति एक ही मंच पर जीवंत हो उठी हो।
