दस दिवसीय जैन पर्युषण पर्व के तीसरे दिन आर्जव धर्म की पूजा की गई। पटना के मीठापुर, कदमकुआँ, मुरादपुर, कमलदह मंदिर गुलजार बाग सहित सभी दिगम्बर जैन मंदिरों में आर्जव धर्म की पूजा हुई। सभी दिगम्बर जैन मंदिरों में सुबह से हीं पूजा करने हेतु श्रद्धालु मंदिरों में पहुँचने लगे। मंदिरों में श्रद्धालुओं ने भगवान् का अभिषेक किया एवं शांतिधारा के बाद आर्जव धर्म की पूजा की। जैन समाज के एम पी जैन ने बताया कि ‘उत्तम आर्जव कपट मिटावे, दुर्गति त्यागि सुगति उपजावें।’ – अर्थात् उत्तम आर्जव धर्म अपनाने से मन एकदम निष्कपट तथा राग-द्वेष से रहित हो जाता है। सरल हृदय व्यक्तियों के घर में लक्ष्मी का भी स्थायी वास रहता है। आत्मा का सहज स्वभाव ही उसका धर्म होता है। जैन पर्युषण पर्व में आत्मा के दस स्वभाव पर कैसे विजय पाया जाए इसी को बताया गया है। मनुष्य का सरल एवं सीधा स्वभाव ही आर्जव धर्म है. सरल व्यक्ति के भीतर किसी तरह का छल-कपट नहीं होता है।आर्जव धर्म अपने भीतर मौजूद छल कपट पर विजय प्राप्त करने की कला को समझने एवं सीखने का दिन होता है। उत्तम आर्जव धर्म से मन एकदम निष्कपट तथा राग-द्वेष से रहित हो जाता है। जिस व्यक्ति के ह्रदय में छल कपट , कुटिलता होती है उसका जीवन कृत्रिम हो जाता है। वह जो बोलता है उसके विपरीत आचरण करता है। मानव धर्म ऐसा होना चाहिए की जो वह बोले वही करे। मुंह में राम बगल में छूरी नहीं होनी चाहिए। व्यक्ति के चरित्र एवं व्यवहार को निष्कपट बनाता है आर्जव धर्म। आर्जव धर्म सिखाता है की हम जो बोले वही करे। इससे व्यक्ति का एक दूसरे पर भरोसा बढ़ता है। छल – कपट के कारण परस्पर के मैत्री सम्बन्ध नष्ट हो रहे है। दूसरे को धोखा देने की , ठगने की , ऊपर से मित्र बनकर अंदर से घात करने की प्रवृति के कारण हीं मनुष्य का एक दूसरे पर विश्वास कम हो रहा है। जैन धर्म का मानना है की मनुष्य अपने मन से छल-कपट बेईमानी को आर्जव धर्म के द्वारा हटा दे। ऐसा करने से हमारा जीवन सरल बन सकेगा ,हम तनाव से मुक्त होंगे तथा परस्पर एक दूसरे पर विशवास करने लगेंगे। आर्जव व्यक्ति के चरित्र एवं व्यवहार को निष्कपट बनाता है। सरल बनने की कला सिखाता है उत्तम आर्जव धर्म। पर्युषण पर्व के चौथे दिन शुक्रवार को दिगम्बर जैन मंदिरों में उत्तम सौच धर्म की पूजा की जायेगी।