महंगी फीस लेकर सस्ता मजदूर बनाने की साजिश है नई शिक्षा नीति : आइसा

पटना। भाकपा माले विधायक दल कार्यालय में आइसा (AISA) की ओर से प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। आइसा के राष्ट्रीय महासचिव सह पालीगंज के विधायक संदीप सौरभ ने बताया कि मोदी सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति 2020 पूरी तरह छात्र विरोधी है। जिसके कारण देशभर के विश्वविद्यालयों में फीस वृद्धि हो गई है। 4 वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (FYUP) को तानाशाही रवैया के साथ किया पूरे देश में लागू किया जा रहा है। बिहार के विश्वविद्यालयों में भी FYUP लागू कर दिया गया है, बिहार के राज्यपाल द्वारा लागू किए गए FYUP के खिलाफ आइसा ने 17 जुलाई को पटना में राजभवन मार्च का आह्वान किया है, जिसमें बिहार भर से छात्र-छात्राएं शामिल होंगे।

कोलकाता में होगा राष्ट्रीय महा अधिवेशन

आइसा द्वारा 9 से 11 अगस्त तक कोलकाता में राष्ट्रीय महा अधिवेशन होने जा रहा है, जिसमें वर्तमान दौर के जो भी ज्वलंत सवाल छात्रों के सामने चुनौतियां बन रही है, नई शिक्षा नीति का सवाल हो, कॉलेज कैंपस का भगवाकरण करने की साजिश हो, शिक्षा को निजी हाथों में सौंपकर आम विद्यार्थियों को शिक्षा से दूर रखने की साजिश हो, इन सभी साजिशों के खिलाफ राष्ट्रीय महा अधिवेशन में चर्चा होगी। नई टीम का गठन किया जाएगा तथा आने वाले दिनों में संघर्ष को कैसे तेज किया जाए, देश के संघीय ढाँचे, लोकतंत्र तथा लोकतांत्रिक वातावरण को कैसे सुरक्षित किया जाए, छात्रों व युवाओं की क्या भूमिका होगी आदि सभी विषयों पर चर्चा करके आइसा अपनी रणनीति तय करेगी।

सस्ता मजदूर बनाने की साजिश

राष्ट्रीय कार्यकारी महासचिव प्रसेनजीत कुमार
ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों के बीच हमलोगों ने एक सर्वे करवाया था जिसमें 85% छात्रों ने 4 वर्षीय स्नातक कार्यक्रम को खारिज किया है। अगर दो शब्दों में कहा जाए तो नई शिक्षा नीति एक प्रकार से मँहगी फीस लेकर सस्ता मजदूर बनाने की विधि है, इसके बावजूद भी उस मजदूर को कहीं भी कोई रोज़गार नहीं मिलेगा। भाजपा का मुख्य उद्देश्य शिक्षा को पूरी तरह से भगवाकरण करना है। तमिलनाडु राज्य ने नई शिक्षा नीति को लागू नहीं करने का निर्णय लिया है, राज्य सरकार द्वारा इस नीति को खारिज कर दिया गया है।

विश्वविद्यालयों में सत्र लेट चल रहे

आइसा के बिहार राज्य अध्यक्ष विकास यादव ने कहा कि अगर पटना विश्वविद्यालय को छोड़ दें तो बिहार में ऐसा कोई विश्वविद्यालय नहीं है जहां सत्र लेट नहीं चल रहा हो, जहाँ परीक्षाएं लंबित ना हो। जेपी यूनिवर्सिटी में 2020-22 सत्र के पीजी का प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा अबतक नहीं हो पाई है। मगध विश्वविद्यालय की बात करें तो वहाँ की स्थिति भी लगभग यही है, इसके बावजूद बिहार में नई शिक्षा नीति को केंद्र सरकार द्वारा थोपा जा रहा है। अकादमी तथा बिल्डिंग इंफ्रास्ट्रक्चर नई शिक्षा नीति को लागू करने के काबिल नहीं है। इस संबंध में हमलोग बिहार के राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें समस्याओं से अवगत करवाया है। कांफ्रेंस में राज्य उपाध्यक्षा प्रीति कुमारी तथा राज्य सचिव सबीर कुमार द्वारा FYUP की कमियों को मीडिया से अवगत कराया गया।

 

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Author: undekhilive

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