पटना। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव जल्द होने वाला है। राजीव रंजन उर्फ लालन सिंह का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इसलिए नए अध्यक्ष के चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। हालांकि अध्यक्ष पद के लिए सर्वसम्मति से ही नाम तय होगा। जदयू के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए कभी चुनाव की नौबत नहीं आई। सर्वसम्मति से ही अब तक नाम तय होते आए हैं।
इस बार अध्यक्ष पद किसे मिलेगा, राजनीतिक गलियारे में इस पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। हालांकि पार्टी सूत्रों की माने तो ललन सिंह को पुन: यह जिम्मेवारी मिल सकती है। इसका आधार 2024 का लोकसभा व 2025 में होने वाला विधानसभा चुनाव है। लोकसभा चुनाव नजदीक होने के कारण जदयू का उच्च नेतृत्व यह नहीं चाहेगा कि किसी नए व्यक्ति को पार्टी की कमान सौंपी जाए। अगर किसी नए व्यक्ति को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है तो फिर उन्हें सक्रिय होने और अपने हिसाब से कमेटी के गठन में काफी समय लगेगा। इसके अलावा ललन सिंह अनुभवी भी हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वस्त भी। हाल के दिनों में प्रकोष्ठों को भी उन्होंने अपने स्तर से सक्रिय किया है। उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी उनके कार्यकाल में जदयू अपेक्षाकृत अधिक सक्रिय हुआ है। इस वजह से उन्हें दोबारा राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान दिए जाने की चर्चा है।
सर्वसम्मति से तय होते रहे हैं नाम
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से होता रहा है। चुनाव की कभी नौबत नहीं आई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तब उन्होंने पार्टी की राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में आरसीपी सिंह को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर काम किए जाने का प्रस्ताव रखा और उसपर सर्वसम्मति से मुहर लग गई। इसके बाद जब आरसीपी केंद्र में मंत्री बने तो फिर पुन: जदयू की राष्ट्रीय कार्यसमिति में राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव आया, जिसपर सर्वसम्मति से मुहर लग गई। इस बार यही आसार है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष से पहले होगा प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष से पहले प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा। 27 नवंबर को नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा होगी। 26 नवंबर को नामांकन पत्र दाखिल होंगे। इससे पहले 16 और 17 नवंबर को प्रखंड अध्यक्षों तथा 20 नवंबर को जिला/नगर के पार्टी अध्यक्षों का चुनाव होना है। वहीं, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव दिल्ली में होगा, जिसकी तिथि की घोषणा भी जल्द की जाएगी। अभी उमेश कुशवाहा प्रदेश अध्यक्ष हैं। ऐसी उम्मीद है कि प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी सर्वसम्मति से ही होगा। चुनाव की नौबत नहीं आएगी। उमेश कुशवाहा का चुनाव भी सर्वसम्मति से हुआ था। चर्चा है कि इन्हें दोबारा मौका नहीं मिलेगा। हालांकि यह तय है कि कोई पिछड़ा या अतिपिछड़ा ही इस पद पर आएगा, क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष सवर्ण हैं और सामाजिक संतुलन बनाए रखने के लिए किए पिछड़ा या अतिपिछड़ा को प्रदेश अध्यक्ष पद दिया जा सकता है।
