बिहार में “पूर्ण शराबबंदी” पर कफ़न डाल रहे हैं अवैध शराब पीकर मरे लोग

13 मौतों का जितना गम, उतना ही गुस्सा, उच्च पथ पर आगज़नी, पुलिस से हाथापाई, DSP पर महिला ने उठा ली लाठी, गांववाले बोले-यही जिम्मेदार

सम्यक न्यूज़, पटना.

बिहार में “पूर्ण शराबबंदी” पर कफ़न डाल रहे हैं अवैध शराब पीकर मरे 13 लोग. छपरा के फुलवारी गांव के भाथा टोली में अबतक जहरीली शराब पीकर 13 लोग जान गँवा चुके हैं. 17 लोगों के आँखों की रोशनी चली गयी है. 35 लोगों की हालत गंभीर है। मौतों के गम में पूरा गांव डूबा हुआ है। गांव के हर दूसरे घर से रोने की आवाज आ रही है। गांव वाले जितने गम में डूबे हैं, उससे ज्यादा गुस्सा पुलिस-प्रशासन पर है। छपरा की सड़कों और उच्च पथों पर चक्का जाम और आगजनी कर रहे ग्रामीणों को समझाने पुलिस पहुंची तो लोग भड़क गए. वे पुलिस से ही हाथापाई करने लगे। डीएसपी को मारने के लिए एक महिला ने तो लाठी भी उठा ली। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन की लापरवाही के कारण लोगों की मौत हुई है। लोजपा (रामविलास) के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने इस दुर्घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त की है.

“बिहार में “पूर्ण शराबबंदी” है. ये कोई नारा नहीं, हमारा सामाजिक संकल्प है. इससे घर, परिवार और समाज में शांति आई है. घरों में खुशहाली बढ़ रही है. महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं, उनके प्रति अपराध कम हुए हैं.” बिहार में सुशासन बाबू अपने भाषणों में इसे गर्व के साथ अपनी उपलब्धि बताते नहीं थकते थे. आज चारों तरफ थू-थू हो रही है. बिहार के सभी जिलों में हर महीने-दो महीने पर अवैध शराब पीकर लोग अपनी जान गँवा रहे हैं. परिवार तबाह और बर्बाद हो रहे हैं, लेकिन इसकी फिक्र किसे है? देसी हो या विदेशी- शराब बनाना गृह उद्योग बन गया है और विदेशी शराब की होम डिलीवरी नया बिजनेस बन गया है. नेता और प्रशासन आपदा में भी अवसर और शराबबंदी में भी कमाई ढूंढ ही लेता है.” 

अवैध शराब पीकर मरे गांव में दो भाई सकलदीप और ओम की मौत से तो बूढी मां बेसहारा हो गयी. रोते-रोते आंसू सुख चुके हैं. कहा- मेरे दोनों बेटे मर गए है। मेरे बुढ़ापे का सहारा छिन गया। अब क्या करें। गांव में ही शराब बिकती है। थाने में शिकायत करने के बाद भी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। मृतक विश्वनाथ महतो की बहू ने बताया कि गांव में पूजा हुई थी। मेरे ससुर ने शराब पी थी। इस गांव में काफी दिनों से शराब बिकती है। पीड़ितों के परिवार ने कहा कि गांवों में तीन अगस्त को पूजा हुई थी। फिर कुछ लोगों ने जश्न मनाया और शराब पी। कुछ लोग नहीं भी पीना चाह रहे थे जिन्हें जबरदस्ती शराब पिलाई गई थी। गांव में बहुत पहले से जहरीली और मिलावटी शराब बेची जा रही थी। उधर इस दर्दनाक घटना से गुस्साए सैकड़ों आक्रोशित ग्रामीण छपरा-मुजफ्फरपुर NH-722 और सीवान-शीतलपुर SH-73 को जाम कर वहीँ बैठ गए. लोगों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन शराब पीने से बीमार लोगों के इलाज में लापरवाही बरत रहा है। लोगों की सही तरीके से देखभाल नहीं की जा रही है। इससे मौत की संख्या लगातार बढ़ रही है। पुलिस प्रशासन इलाज के लिए रखे गए लोगों से कैदी जैसा बर्ताव कर रही है। लोगों का आरोप है कि छपरा सदर अस्पताल और पटना पीएमसीएच में इलाज के नाम पर सभी लोगों के साथ खानापूर्ति और घोर लापरवाही की जा रही है। परिजनों का कहना है कि गंभीर रूप से पीड़ित लोगों को निजी अस्पताल में इलाज के लिए भी नहीं जाने दिया जा रहा है। इससे उनकी मौत हो रही हैं। आक्रोशित लोगों ने दो मुख्य सड़कों को जोड़ने वाले चौक पर आगजनी कर पूर्ण रूप से आवागमन बाधित कर दिया।

हंगामा और जाम को हटाने पहुंची पुलिस टीम से भी आक्रोशित ग्रामीणों ने हाथापाई की। आक्रोशित महिलाएं मढ़ौरा डीएसपी इंद्रजीत बैठा के साथ धक्कामुक्की पर उतारू हो गई। हालांकि स्थानीय जनप्रतिनिधियों की पहल पर महिलाएं शांत हुईं। सोनहो चौक पर रोड जाम होने से रोड के दोनों तरफ वाहनों का लंबी लाइन लग गई। आक्रोशित लोगों की मांग है कि जहरीली शराब में संलिप्त कारोबारियों की जल्द गिरफ्तारी हो और पीड़ित परिवारों को भुखमरी से बचने के लिए पर्याप्त मुआवजा और खाद्यान्न दिया जाये. लोजपा (रामविलास) के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने इस दुर्घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त की है. आज जारी वक्तव्य में उन्होंने “पूर्ण शराबबंदी” पर सवाल उठाये और कहा कि यह पूरी तरह फेल है और कागज़ी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस दुर्घटना की जिम्मेवारी तय करने और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की है.

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Author: undekhilive

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